नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 सितंबर को मणिपुर जाएंगे. जब से मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ है, तब से विपक्ष लगातार पीएम मोदी पर हमलावर रहा है. उनकी मांग रही है कि पीएम मोदी को मणिपुर जाना चाहिए. मई 2023 से मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था. पीएम के दौरे से पहले गृह मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं. इनमें राज्य में सक्रिया उग्रवादी संगठनों के साथ समझौता भी शामिल है. क्या है यह समझौता और मणिपुर विवाद की क्या है असली वजह, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.
माना जा रहा है कि पीएम मोदी के मणिपुर दौरे से राज्य में शांति स्थापित करने में बड़ी कामयाबी मिलेगी. संभवतः यही वजह है कि गृह मंत्रालय ने कुकी उग्रवादी समूहों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया है. इस समझौते के बाद नेशनल हाइवे-2 को खोलने पर सहमति बनी है. मणिपुर की राजधानी इंफाल और नागालैंड के शहर दीमापुर को जोड़ने वाली यह महत्वपूर्ण सड़क है. इसे इस इलाके का लाइफलाइन कहा जाता है. केंद्र सरकार इसे बड़ी उपलब्धि बात रही है. सड़क खुलने के बाद पूरे एरिया में मूवमेंट करना आसान हो जाएगा. क्या है यह समझौता, इसे जानने से पहले समझें कि मणिपुर में हिंसा की शुरुआत क्यों हुई थी.
क्यों भड़की थी हिंसा
मणिपुर हाईकोर्ट ने 27 मार्च 2023 को एक फैसला सुनाया था, जिसके बाद मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा की शुरुआत हो गई थी. कोर्ट ने मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने को लेकर फैसला सुनाया था. मणिपुर में मैतेई बहुसंख्यक हैं. कुकी समुदाय अल्पसंख्यक हैं. वह पर्वतीय इलाकों में रहते हैं, जबकि मैतेई घाटी के इलाकों में रहते हैं. कुकी समुदाय ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी.
उनकी दलील थी कि मणिपुर की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें तो पहले से ही मैतेई के पास हैं, और यदि उन्हें जनजाति का दर्जा भी मिल गया, तो कुकी का प्रतिनिधित्व और अधिक कम हो जाएगा. वर्तमान कानून के मुताबिक पर्वतीय इलाकों में रहने वाले मैतेई समुदाय के लोग इस इलाके में जमीन नहीं खरीद सकते हैं. लेकिन एक बार जब उन्हें जनजातीय दर्जा मिल जाए, तो वे राज्य में कहीं पर भी जमीन खरीद सकते हैं, कुकी ने इसका विरोध किया था. राज्य में इस समय राष्ट्रपति का शासन है. एन बीरेंद्र सिंह यहां के सीएम थे. राजनीतिक हालात ऐसे बने कि उन्हें नौ फरवरी 2025 को यह पद छोड़ना पड़ा.
पीएम के दौरे से पहले क्या हैं दो अहम समझौते
पहला समझौता – मणिपुर के दो प्रमुख उग्रवादी संगठनों – कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (केएनओ) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) – के साथ केंद्र सरकार ने समझौता किया है. इसे सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस एग्रीमेंट (एसओओ) कहा गया है. यह समझौता उन संगठनों पर भी लागू होगा, जो इन दोनों संगठनों के मातहत काम करते हैं. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक इन दोनों संगठनों से 24 से अधिक छोटे-बड़े ग्रुप जुड़े हुए हैं.
वैसे एसओओ 2008 से ही लागू है. केंद्र, राज्य सरकार और इन संगठनों के बीच यह तीन पक्षों के बीच का समझौता है. समय-समय पर इस समझौते की समय सीमा को बढ़ाया जाता रहा है. लेकिन बीरेन सिंह की सरकार के आने के बाद मार्च 2023 में उन्होंने जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी और कुकी नेशनल आर्मी के साथ इस समझौते को खत्म कर दिया था. बीरेन सिंह का आरोप था कि जब से कुकी-जो के प्रभुत्व वाले इलाके (चुराचांदपुर) से उन्हें बेदखली का नोटिस मिला, उन्होंने (जेआरए और केएनए) आंदोलने के लिए लोगों को भड़काना शुरू कर दिया. मई 2023 में हिंसा ने वीभत्स रूप ले लिया.
दूसरा समझौता एनएच-2 दो के खोलने को लेकर है. इसके लिए कुकी-जो काउंसिल के साथ समझौता किया गया है. यह सिविल सोसाइटी की तरह काम करता है. इसका हेड क्वार्टर चुराचांदपुर है. गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि ये दोनों समझौते इस शर्त पर हुए हैं कि वे मणिपुर के टेरिटोरियल इंटेग्रिटी का सम्मान करेंगे. कुकी संगठनों का दावा है कि उन्होंने एनएच-2 को कभी बंद नहीं किया था.