मुंबई:- साल 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगने जा रहा है। यह आंशिक सूर्य ग्रहण खगोलीय, धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण रात 10:39 बजे शुरू होगा और 22 सितंबर की सुबह 3:29 बजे समाप्त होगा, जो कुल 4 घंटे 50 मिनट तक चलेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता। इस दौरान चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। यह ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया और दक्षिण प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में रात होने के कारण यह नजर नहीं आएगा।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा। इस समय सूर्य, चंद्रमा और बुध कन्या राशि में होंगे, जिससे बुधादित्य योग बनेगा। अन्य ग्रहों की स्थिति में शनि मीन राशि, गुरु मिथुन राशि, मंगल तुला राशि, शुक्र और केतु सिंह राशि, तथा राहु कुंभ राशि में होंगे। यह खगोलीय संयोग पितृपक्ष और महालया के साथ मिलकर एक दुर्लभ घटना का निर्माण करेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। इससे बचने के लिए गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप, ग्रहण के बाद पवित्र नदियों में स्नान, दान, और घर में गंगाजल छिड़कने की सलाह दी जाती है। ग्रहण के समय भोजन, पूजा-पाठ, मूर्ति स्पर्श, और नुकीले औजारों का उपयोग वर्जित है। गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहने की सलाह दी जाती है।
ज्योतिषीय प्रभावों के अनुसार, वृषभ, मकर और कुंभ राशि वालों को आर्थिक लाभ, सामाजिक संबंधों में सुधार और व्यावसायिक उन्नति मिल सकती है। वहीं, मिथुन, कन्या और धनु राशि वालों को सतर्क रहना होगा, क्योंकि रिश्तों में तनाव, सेहत संबंधी चिंताएं या कार्यस्थल पर चुनौतियां आ सकती हैं। यह ग्रहण भारत में दिखाई न देने के कारण धार्मिक रूप से इसका प्रभाव सीमित रहेगा, लेकिन खगोलीय दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण घटना है।

