प्रेमानंद महाराज 2 अक्टूबर से बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण अपनी नियमित पदयात्रा जारी नहीं रख पा रहे हैं. हालांकि आश्रम ने पुष्टि की है कि उनका स्वास्थ्य ठीक है और वे सीमित आधार पर भक्तों का मार्गदर्शन कर रहे हैं, फिर भी उन्हें आराम करने के लिए उनकी सुबह की पदयात्रा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है.
हाल ही में, प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज की तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके कारण उन्हें सप्ताह में सातों दिन डायलिसिस करवाना पड़ा था. वे लगभग 19-20 वर्षों से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित हैं और नियमित रूप से डायलिसिस करवाते हैं. अब उनकी हालत में सुधार हुआ है और वे पहले की तरह सप्ताह में पांच दिन डायलिसिस करवा रहे हैं.
किडनी खराब होने पर डायलिसिस जरूरी हो जाता है, क्योंकि यह खून से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को छानकर बाहर निकालता है. डायलिसिस के बिना, पूरी तरह से किडनी फेल होने वाले लोगों को जानलेवा परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. प्रेमानंद महाराज 2006 से पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित हैं. इस वजह से, वे लगभग 19 वर्षों से डायलिसिस पर हैं. आज ‘शारीरिक स्वास्थ्य’ में हम बात करेंगे डायलिसिस के बारे में और यह भी जानेंगे कि दुनिया भर में कितने लोग डायलिसिस करवा रहे हैं?
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज क्या है
नेशनल किडनी फाउंडेशन के मुताबिक, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग , जिससे प्रेमानंद जी महाराज पीड़ित हैं, एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जिसके कारण किडनी में द्रव से भरे सिस्ट विकसित हो जाते हैं. इससे किडनी बड़े हो जाते हैं और उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम हो जाती है, जिससे किडनी की फेलियर और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है.
लक्षण
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लक्षणों में पेट दर्द, उच्च रक्तचाप और मूत्र में रक्त आना शामिल हैं. इसके अलावा, यह लीवर जैसे अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है. इसके उपचार में हाई ब्लड प्रेशर, दर्द और संक्रमण जैसी जटिलताओं का प्रबंधन शामिल है. इसके लिए लॉन्ग टर्म मैनेजमेंट की भी आवश्यकता होती है, जिसमें किडनी फेलियर की स्थिति में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट शामिल है.
डायलिसिस क्या है
नेशनल किडनी फाउंडेशन के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की किडनी ठीक से काम नहीं कर रही है, तो उसे डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है. किडनी का काम खून से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना है, जिन्हें फिर मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल दिया जाता है. ये यूरिया, क्रिएटिनिन और एसिड जैसे अपशिष्ट पदार्थों को छानकर बाहर निकाल देते हैं. शरीर को ठीक से काम करने के लिए डायलिसिस भी यही काम करता है.