फाल्गुन माह को भगवान शिव की आराधना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है, जो शिव भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। एक पौराणिक कथा के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर पहली बार भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग में प्रकट हुए थे और इसे महाशिवरात्रि के रूप में मनाया गया. आसान शब्दों में कहें तो भगवान शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि है।
इस अवसर पर शिव भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। देशभर के शिव मंदिरों में उत्साह का माहौल रहता है, जहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। पूजा में शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल और जल चढ़ाया जाता है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाना निषिद्ध है। इनसे भगवान शिव के क्रोधित होने की आशंका रहती है। आइए जानें ये कौन सी चीजें हैं।
हल्दी: हिंदू धर्म में हल्दी शुभता और समृद्धि का प्रतीक है, लेकिन शिवलिंग पर इसका प्रयोग वर्जित है। शास्त्रों में शिवलिंग को पुरुषत्व का प्रतीक माना गया है, इसलिए हल्दी चढ़ाना मना है।
तुलसी: तुलसी पूजा में पवित्र है, पर इसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता। कथा है कि शिव ने तुलसी के पति जालंधर का वध किया था और इसे लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
नारियल: श्रीफल कहलाने वाला नारियल लक्ष्मी का प्रतीक है, इसलिए शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है।
टूटे चावल: पूजा में केवल साबुत चावल (अक्षत) ही चढ़ाएं, टूटे चावल से शिव नाराज हो सकते हैं।
केतकी फूल: एक पौराणिक कथा के अनुसार, केतकी के झूठ के कारण शिव इसे पसंद नहीं करते।
रोली-कुमकुम: शिव योगी रूप में हैं, इसलिए इन्हें तिलक नहीं लगाया जाता।
लाल फूल: लाल रंग उग्रता दर्शाता है, जबकि शिव को शांत सफेद फूल प्रिय हैं।
शिव भक्तों को इन नियमों का पालन कर भक्ति भाव से पूजा करनी चाहिए।