नई दिल्ली:- केंद्र सरकार को इस वित्त वर्ष 2025-26 में प्रत्यक्ष कर राजस्व के मोर्चे पर सकारात्मक संकेत मिले हैं. आयकर विभाग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल से 17 सितंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.18% बढ़कर ₹10.82 लाख करोड़ से अधिक रहा है. पिछले वर्ष की समान अवधि में यह संग्रह ₹9.91 लाख करोड़ से ऊपर दर्ज किया गया था. इस वृद्धि की मुख्य वजह कंपनियों से अधिक अग्रिम कर वसूली और रिफंड जारी करने की धीमी रफ्तार रही.
कॉरपोरेट और गैर-कॉरपोरेट कर का योगदान
इस अवधि में कॉरपोरेट क्षेत्र से अग्रिम कर संग्रह 6.11% बढ़कर ₹3.52 लाख करोड़ से अधिक हो गया. वहीं, गैर-कॉरपोरेट यानी व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों से अग्रिम कर संग्रह 7.30% घटकर ₹96,784 करोड़ पर सिमट गया. बावजूद इसके, कुल शुद्ध कंपनी कर संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह ₹4.72 लाख करोड़ से अधिक रहा. पिछले वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा ₹4.50 लाख करोड़ था.
गैर-कॉरपोरेट कर संग्रह भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है. वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक व्यक्तिगत आयकर और HUF से मिलाकर कुल ₹5.84 लाख करोड़ का कर संग्रह हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹5.13 लाख करोड़ की तुलना में अधिक है. यह वृद्धि दर्शाती है कि व्यक्तिगत करदाताओं का योगदान लगातार मजबूत हो रहा है.
रिफंड में गिरावट से मजबूत हुआ नेट कलेक्शन
कर संग्रह बढ़ने की एक बड़ी वजह रिफंड वितरण में आई गिरावट भी है. 1 अप्रैल से 17 सितंबर के बीच सरकार ने केवल ₹1.61 लाख करोड़ का रिफंड जारी किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24% कम है. वर्ष 2024 की इसी अवधि में ₹2.11 लाख करोड़ के रिफंड जारी किए गए थे. रिफंड की इस कमी ने शुद्ध कर संग्रह को ऊंचा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
STT और सकल कर संग्रह
प्रतिभूति लेनदेन कर से सरकार को इस अवधि में ₹26,306 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है. यह पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹26,154 करोड़ से थोड़ा अधिक है. रिफंड समायोजन से पहले सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 17 सितंबर तक ₹12.43 लाख करोड़ से ऊपर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.39% की वृद्धि दर्शाता है.
