रायपुर:- आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) से जुड़े पाकिस्तानी मॉड्यूल द्वारा छत्तीसगढ़ में बच्चों को ब्रेनवॉश कर आतंकी गतिविधियों में शामिल करने की साजिश का बड़ा खुलासा हुआ है।एटीएस ने दुर्ग के सुपेला थाना क्षेत्र से चार और नाबालिगों को हिरासत में लिया है। इससे पहले रायपुर और भिलाई से दो किशोर पकड़े जा चुके हैं।
एआई-जनरेटेड फेक वीडियो और ऑनलाइन कट्टरपंथी ट्रेनिंग
जांच में सामने आया कि पकड़े गए दोनों मुस्लिम किशोर पढ़ाई बीच में छोड़ चुके थे। पाक मॉड्यूल के संचालकों ने उन्हें यह समझाया कि उनका जन्म ‘मजहब की रक्षा’ के लिए हुआ है और धीरे-धीरे उनके मन में अन्य समुदायों के खिलाफ नफरत और हिंसा भरी गई।
एटीएस की तकनीकी टीम को उनके लैपटॉप और मोबाइल से AI जनरेटेड फेक वीडियो मिले हैं, जिनमें गैर-इस्लामिक देशों में मुस्लिमों पर अत्याचार का झूठा चित्रण था। ISIS द्वारा इराक-सीरिया में की गई हत्याओं को “जायज़ बदला” बताकर उन्हें उसी रास्ते पर चलने के लिए उकसाया जा रहा था।
टेली सेंटर से चल रहा था पूरा खेल
रायपुर के संतोषी नगर का एक किशोर ‘टेली सीखने’ के बहाने एक कंप्यूटर सेंटर जाता था। यहीं बैठकर वह लैपटॉप और मोबाइल के जरिए आतंकी संगठन से ट्रेनिंग लेता था और कट्टरपंथी वीडियो आगे भेजता था.एटीएस ने जब सेंटर का IP Address ट्रैक किया तो पूरी चेन सामने आ गई। इसके बाद रायपुर और भिलाई में दबिश देकर दोनों किशोरों को पकड़ लिया गया।वे निर्देश मिलने पर सारी चैट और वीडियो तुरंत डिलीट कर देते थे। कई अहम डेटा अब भी डिलीट हैं, जिन्हें फोरेंसिक टीम रिकवर कर रही है।
100 से अधिक लोगों तक फैला चुके थे नेटवर्क
जांच में पता चला है कि इन किशोरों ने पिछले 4-5 वर्षों में देश के कई शहरों में 100 से अधिक लोगों को अपने संपर्क में जोड़ा। इंस्टाग्राम और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर वे फेक आईडी बनाकर हिंसक व कट्टरपंथी गेम और वीडियो साझा करते थे।
किशोर हुए आक्रामक, परिवार को मानने लगे दुश्मन
एटीएस अधिकारियों का कहना है कि यह देश का बहुत दुर्लभ मामला है, जिसमें किशोरों को वर्षों तक ब्रेनवॉश कर आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार किया गया। कश्मीर में ऐसे मामले दिखते हैं, लेकिन किसी अन्य राज्य में बच्चों को इस तरह बड़े पैमाने पर टारगेट करने का यह पहला बड़ा केस माना जा रहा है।

