रायपुर : केंद्रीय बजट आने के बाद राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा नेताओं ने जहां इसे सभी को लाभ पहुंचाने वाला और मध्यमवर्गीय परिवार का बजट कहा है। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि केंद्रीय बजट में भी छत्तीसगढ़ मॉडल की गूंज सुनी जा सकती है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह बजट 2047 का रोड मैप बन गया है। अमृतकाल में भारत और तेजी के साथ कैसे विकास करेगा। इस बजट की सबसे बड़ी बात यही है कि यह सर्वग्राही और सर्वस्पर्शी बजट के रूप में है। यह मध्यमवर्गीय परिवार का बजट है। यह बजट दूरगामी सोच का परिणाम है।
गरीब, मध्यमवर्गीय परिवार को आवास से शुरू करके महिलाओं के लिए चिंता करते हुए मध्यमवर्गीय पेशे में जो छोटी-छोटी सर्विस करते हैं उन्हें सात लाख तक की छूट की व्यवस्था की गई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव ने कहा, यह बजट गांव, गरीब, किसान, युवा, महिलाओं, बुजुर्गों, पिछड़ों, वंचितों, दलितों, जनजातीय समाज सहित हर वर्ग की आम जनता का खास बजट है। ऐतिहासिक टैक्स रिफॉर्म्स से सबको राहत मिली है।
यह बजट, बुलंद भारत की मजबूत अर्थ व्यवस्था का प्रतीक है। साव ने कहा, इस बजट ने छत्तीसगढ़ के लिए असीम संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। मिलेट मिशन का हमारे जनजातीय समाज को विशेष लाभ मिलेगा। एकलव्य विद्यालयों में भर्तियां होंगी तो वहीं हमारे तकनीकी शिक्षा संस्थानों को नवीन अवसर मिलेंगे। इस बजट से छत्तीसगढ़ के समग्र विकास का खाका तैयार हो गया है।
ये केवल चुनाव को देखकर बनाया गया बजट है : भूपेश बघेल
केंद्रीय बजट को लेकर सीएम भूपेश बघेल ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ये निर्मला जी का निर्मम बजट है। इसमें युवाओं के लिए कोई सुविधा है, न किसानों की आय दुगुनी करने की सुविधा है, न महिलाओं के, न ट्राइब्स और न अनुसूचित जाति के लिए कुछ है। ये केवल चुनाव को देखकर बनाया गया बजट है।
सीएम ने यह भी कहा कि बजट में 2 लाख 35 हजार करोड़ रुपए रखा गया है तो ये क्या कर्मचारियों के लिए है, नई भर्ती के लिए है, या ऐसा तो नहीं है कि जैसे एयरपोर्ट को बेचने के पहले करोड़ों रूपए उसके सुधार कार्य में लगाया गया और फिर निजी हाथों में सौंप दिया गया। इसी तरह रेलवे में भी करोड़ों रूपए खर्च कर निजी हाथों में तो नहीं दिया जा रहा है।
वहीं प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस की ओर से संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, मोदी सरकार के द्वारा प्रस्तुत बजट में छत्तीसगढ़ मॉडल की धमक साफ दिख रही है। बजट में भारतीय मिलेट संस्थान के गठन का निर्णय लिया गया। छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन पहले से चल रहा है। यहां रागी, कोदो, कुटकी की समर्थन मूल्य पर खरीदी हो रही है।
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की बहुचर्चित और बहुप्रतिष्ठित गोधन न्याय योजना की गूंज भी केंद्रीय बजट में है। शुक्ला ने कहा, यह राज्य के लिए गर्व का विषय है हमारे मुख्यमंत्री की योजनाओं पर केंद्र काम कर रहा है।
मरकाम बोले, मोदी सरकार की प्राथमिकता में आम लोग नहीं
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा, मोदी सरकार की प्राथमिकता में आम जनता का हित है ही नहीं। 2014 के बाद पहली बार इनकम टैक्स का बेसिक एक्सेंप्शन लिमिट बढ़ाया गया वह भी केवल 50 हजार रुपए तक। महंगाई चार गुना बढ़ी है लेकिन राहत मात्र 20%। न 80-उ की लिमिट बढ़ाया और न ही मेडिकल इंश्योरेंस पर छूट की सीमा, न हीं हाउस लोन पर भरे जाने वाले ब्याज पर छूट की सीमा बढ़ाई।
बुजुर्गों और महिलाओं को जमा पर मिलने वाले ब्याज के साथ ही सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर लगातार कम हुई है इस पर कोई बात नहीं है। मरकाम ने कहा, एमएसएमई को सपोर्ट के नाम पर फिर से जुमलेबाजी हुई। हकीकत यह है कि 90% एमएसएमई एक साल से अधिक सरवाइव नहीं कर पा रहे हैं।
हमारी अर्थव्यवस्था में 90% से अधिक रोजगार असंगठित क्षेत्र में जनरेट होता है। कृषि, रियल एस्टेट और कपड़ा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए कुछ नहीं। उज्जवला योजना के नाम पर पीठ थपथपाने वाले इस बात पर मौन है कि महंगाई की मार से कितने लोग गैस रिफिल करा पा रहे हैं? आज का बजट देश की आम जनता और सर्वहारा वर्ग के लिए घोर निराशा का बजट है।
किसान बोले – यह कृषि क्षेत्र को डुबा देगा
अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के सचिव तथा छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है। कोरोनकाल में जब देश की अर्थव्यवस्था 23% नीचे चली गई थी, उस दौर में भी कृषि क्षेत्र का योगदान अर्थव्यवस्था में 3% धनात्मक रही। उस बीच अति अमीर कॉरपोरेट मुनाफा बटोरने में लगे रहे।
अर्थव्यवस्था में कृषि की योगदान को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में वृद्धि की जानी चाहिए थी। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने की योजना शामिल की जानी चाहिए थी। ऐसा न करके कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप के माध्यम से इसे डुबाने की कोशिश की जा रही है।