बरसात या सर्दी का मौसम आते ही घर में बच्चे सर्दी-खांसी से परेशान हो जाते हैं. उन्हें अक्सर रात में गंभीर खांसी और खाना खाते समय गले में खराश की समस्या होती है. यह स्थिति माता-पिता की चिंता को काफी बढ़ा देती है. कई माता-पिता बिना डॉक्टर की सलाह लिए अक्सर अपने बच्चों को मेडिकल स्टोर से कफ सिरप दे देते हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यह तरीका बच्चों के लिए हमेशा सुरक्षित नहीं होता. ऐसे माता पिता के लिए बेहतर होगा कि वे दवा से पहले सर्दी-खांसी का घरेलू उपाय तैयार कर अपने बच्चों को दें.
सर्दी-खांसी के घरेलू उपाय पुराने समय से ही बच्चों को आराम पहुंचाते रहे हैं. घर में मौजूद कुछ सामग्रियां बच्चों की छोटी-मोटी बीमारियों के लिए उम्मीद बन सकती हैं. हाल ही में मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप पीने से 14 बच्चों की मौत हो गई. इस घटना के बाद कफ सिरप को लेकर केंद्रीय दिशानिर्देश जारी किए गए. केंद्र ने 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देने में सावधानी बरतने और बिलकुल भी ना देने की सलाह दी है. दरअसल जांच में पुष्टि हुई है कि सिरप में 48.6 फीसदी डायएथेनॉल, एक खतरनाक रसायन, मौजूद है, जिसके कारण राज्य भर में इस दवा की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
सर्दी-खांसी की समस्या से राहत पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय
शहद का उपयोग
शहद, एक नेचुरल एंटीबैक्टीरियल तत्व है, जो गले को आराम देता है और खांसी से राहत देता है.
अदरक और तुलसी का मिश्रण
तुलसी के पत्तों के रस और अदरक के रस में थोड़ा सा शहद मिलाकर देने से बच्चे के गले की खराश में आराम मिल सकता है.
भाप का उपाय
गर्म पानी की भाप लेने से श्वास नलिकाएं साफ होंगी और नाक की जकड़न से राहत मिलेगी.
हल्दी वाला दूध टॉनिक
बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए रात में गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर दी जा सकती है.
सलाइन ड्रॉप्स
अगर बच्चों की नाक बंद है, तो सलाइन ड्रॉप्स उन्हें आसानी से सांस लेने में मदद करती हैं.
गर्म पेय
गर्म पानी या सूप न केवल खांसी से आराम देता है, बल्कि बच्चे को आराम भी देता है.
सावधानी
एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं देना चाहिए. बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा या हर्बल सप्लीमेंट न दें. अगर बच्चे खांसी बनी रहती है या उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो डॉक्टर से मिलें. खांसी या जुकाम से पीड़ित बच्चे के लिए बिना डॉक्टरी पर्ची वाली सिरप की बजाय घरेलू उपचार ही सबसे पहले बचाव का उपाय हो सकते हैं. हालांकि, अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टरी सलाह लेना सबसे सुरक्षित है.