गौरेला। गौरेला थाना क्षेत्र के डुमरिया गांव निवासी संतोष विश्वकर्मा के साथ बड़ा हादसा हुआ। संतोष अपनी बाइक से पेंड्रा की ओर जा रहे थे, तभी विपरीत दिशा से तेज गति से आ रही एक शासकीय बोलेरो वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। हादसा इतना जबरदस्त था कि संतोष सड़क से उछल कर दूर जा गिरे। उन्हें गंभीर चोटें आईं और वे दर्द से कराहने लगे।
वाहन से उतरने पर पता चला कि बोलेरो चला रहे व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि जिले के परिवहन प्रभारी व रक्षित निरीक्षक श्री कुर्रे थे। हादसे के बाद उन्होंने घायल को जिला अस्पताल पहुंचाया और 4 हजार रुपये थमा कर वहां से चले गए।
डॉक्टरी परीक्षण में पता चला कि संतोष की फीमर बोन (जांघ की हड्डी) में गंभीर फ्रैक्चर है, जिसका इलाज जिला अस्पताल में संभव नहीं था। डॉक्टरों ने उन्हें तत्काल बिलासपुर रेफर करने की सलाह दी। लेकिन संतोष की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे निजी साधन का इंतजाम नहीं कर सके। अस्पताल प्रशासन ने भी कोई तत्परता नहीं दिखाई और वे अपनी पत्नी सहेतरी बाई के साथ दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक अस्पताल में ही तड़पते रहे।
मामले ने तब रफ्तार पकड़ी जब स्थानीय मीडिया सक्रिय हुई। मीडिया के दखल के बाद ही संतोष को रात 12 बजे के बाद संजीवनी एक्सप्रेस से बिलासपुर भेजा गया। लेकिन रास्ते में जाम की वजह से उनकी स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी रही।
पीड़ित परिवार की व्यथा
संतोष विश्वकर्मा परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं और रोजी-मजदूरी कर घर चलाते हैं। उनकी पत्नी सहेतरी बाई का कहना है कि हादसे के बाद से वे मानसिक रूप से टूट गए हैं और अब इलाज के लिए आर्थिक मदद की जरूरत है। उन्होंने न्याय की गुहार लगाई है।
प्रशासन और पुलिस की चुप्पी
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस गंभीर हादसे के बावजूद अब तक कोई FIR दर्ज नहीं की गई है। परिवहन प्रभारी के रसूख के कारण पुलिस भी मामले में चुप्पी साधे हुए है। अब सवाल यह उठता है कि क्या कानून सभी के लिए समान है या अधिकारियों के लिए अलग?