लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. इसलिए, इसे हेल्दी रखना बेहद जरूरी है. जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति से लेकर ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखने तक, लिवर हर चीज में अहम भूमिका निभाता है. लिवर टॉक्सिन को छानने, पित्त बनाने और ऊर्जा संचय जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है. हालांकि, कुछ स्थितियां इसके सामान्य कामकाज को बाधित कर सकती हैं. इनमें से एक सबसे आम है फैटी लिवर डिजीज. फैटी लिवर की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. फैटी लिवर के कारण लिवर की सेल्स में फैट जमा हो जाती है. जिससे सूजन, निशान पड़ सकते हैं और गंभीर मामलों में लिवर फेल भी हो सकता है.
दिल्ली स्थित जनरल फिजिशियन (निजी प्रैक्टिशनर) डॉ. रश्मि राठी बताती हैं कि फैटी लिवर की बीमारी आजकल तेजी से आम होती जा रही है, और चिंता की बात यह है कि इसके मामले न सिर्फ एडल्ट्स में, बल्कि बच्चों में भी बढ़ रहे हैं. इसका कारण व्यस्त जीवनशैली, खान-पान की खराब आदतें, और बढ़ता तनाव और मानसिक अस्थिरता हो सकती है. इसलिए, इसे जीवनशैली से जुड़ी बीमारी भी कहा जाता है. गौरतलब है कि इस बीमारी के कारण लिवर में अधिक चर्बी जमा हो जाती है.
फैटी लिवर के 2 प्रकार होते हैं
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर
नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर ऐसी ही एक स्थिति है अत्यधिक शराब का सेवन, जिससे लीवर में चर्बी जमा हो जाती है. इसके और भी कारण हो सकते हैं, लेकिन एल्कोहॉलिक फैटी लीवर का मुख्य कारण शराब ही है.
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज : इस अवस्था में मुख्यतः अनहेल्दी खानपान जैसे बहुत अधिक तला-भुना खाने या सैचुरेटेड फैट्स और ट्रांस फैट्स के बहुत अधिक सेवन से व सोने-जागने से जुड़ी गलत आदतों तथा रोग या समस्याओं के चलते लिवर डैमेज होता है.
समय पर इलाज जरूर
डॉ. रश्मि बताती हैं कि वैसे तो साधारण फैटी लिवर रोग में लिवर को बहुत ज्यादा क्षति नहीं होती है. लेकिन यदि समय पर इस बीमारी के लक्षणों को पहचान कर उचित इलाज या चिकित्सक द्वारा बताए गए जरूरी परहेजों को ना अपनाया जाए तो लिवर को गंभीर क्षति पहुंच सकती है. डॉक्टर का कहना है कि इस समस्या को साइलेंट रोग भी कहा जाता है क्योंकि आमतौर पर समस्या के शुरुआती चरण में इस रोग के ज्यादा लक्षण नजर नहीं आते हैं. और जब तक लक्षण ज्यादा प्रत्यक्ष रूप में नजर आने लगते हैं तब तक समस्या गंभीर स्वरूप लेने लगती है.
फैटी लीवर के लक्षण
आमतौर पर, जैसे-जैसे यह स्थिति बढ़ती है, लोगों को पेट दर्द, पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन, भूख न लगना, खराब पाचन, लगातार वजन कम होना, कमजोरी और थकान, भ्रम, उल्टी और मतली जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. कभी-कभी, इस स्थिति से ग्रस्त लोगों में लिवर सिरोसिस, लिवर क्षति और यहां तक कि लिवर कैंसर भी हो सकता है, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है.
फैटी लिवर के कितने ग्रेड होते हैं?
फैटी लिवर के तीन मुख्य ग्रेड होते हैं: ग्रेड 1 (हल्का), ग्रेड 2 (मध्यम), और ग्रेड 3 (गंभीर), जो लिवर में फैट एक्युमुलेशन की मात्रा के आधार पर निर्धारित होते हैं.
फैटी लिवर के ग्रेड
ग्रेड 1 फैटी लिवर (लाइट): यह फैटी लिवर का सबसे शुरुआती फेज होता है, जहां लिवर की 5 फीसदी से 33 फीसदी सेल्स में फैट जमा होती है. आमतौर पर लिवर में कोई सूजन या क्षति नहीं होती है.
ग्रेड 2 फैटी लिवर (मीडियम): इस स्थिति में, लिवर में 33 फीसदी से 66 फीसदी तक वसा जमा होती है. लिवर सेल्स में सूजन या फाइब्रोसिस (दाग) के शुरुआती लक्षण देखे जा सकते हैं.
ग्रेड 3 फैटी लिवर (गंभीर): यह सबसे गंभीर चरण है, जहां लिवर का 66 फीसदी से अधिक भाग वसा जमा होता है. लिवर में गंभीर सूजन और क्षति होने की संभावना होती है, और यह सिरोसिस नामक स्थिति में विकसित हो सकता है.
क्या ग्रेड 2 फैटी लिवर खतरनाक है
यदि ग्रेड 2 फैटी लिवर का तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो यह लिवर फाइब्रोसिस (दाग), सिरोसिस, हेपेटाइटिस और अंततः लिवर कैंसर जैसी गंभीर
कॉम्प्लिकेशन में विकसित हो सकता है.

