नई दिल्ली:- बाजार में आज सिर्फ एक सवाल गूंज रहा है — क्या टाटा कैपिटल का IPO वाकई “सस्ता सौदा” है या बस नाम का जादू है जो निवेशकों को खींच लाया है? देश के सबसे भरोसेमंद समूहों में से एक, टाटा ग्रुप की यह कंपनी अब पूंजी बाजार में अपने हिस्से की जगह तलाश रही है. और यह सिर्फ एक IPO नहीं, बल्कि 2025 का अब तक का सबसे बड़ा फाइनेंशियल इवेंट बन गया है.
15,500 करोड़ का सबसे बड़ा IPO — निवेशकों में जबरदस्त उत्साह
टाटा कैपिटल लिमिटेड ने लगभग 15,500 रुपए करोड़ के इनीशियल पब्लिक ऑफर की घोषणा की है. 7 अक्टूबर को खुले इस इश्यू का आज दूसरा दिन है, और पहले ही दिन यह करीब 40% तक सब्सक्राइब हो चुका था. यह आंकड़ा निवेशकों के उत्साह को दिखाता है — लेकिन बाजार में चर्चा सिर्फ सब्सक्रिप्शन की नहीं, बल्कि वैल्यूएशन की वास्तविकता की भी है।
वैल्यूएशन पर असली बहस : सस्ता या महंगा?
कंपनी ने ₹310 से ₹326 प्रति शेयर का प्राइस बैंड तय किया है. उच्चतम स्तर ₹326 पर, टाटा कैपिटल की मार्केट वैल्यूएशन लगभग ₹1.38 लाख करोड़ बैठती है.यहां कंपनी का प्राइस-टू-बुक रेशियो (P/B) लगभग 3.4 से 4.1 गुना, और प्राइस-टू-अर्निंग्स रेशियो करीब 32 गुना आता है — जो भारत की अग्रणी NBFCs, जैसे बजाज फाइनेंस और चोलामंडलम फाइनेंस के बराबर है.
इससे साफ है कि कंपनी ने अपने शेयर डिस्काउंट पर नहीं, प्रीमियम पर पेश किए हैं — और यही जगह है जहां से सस्पेंस शुरू होता है.
एक्सपर्ट्स की राय : “फेयर, लेकिन ऊंची उड़ान पर
देवेन चोकसी रिसर्च का कहना है कि टाटा कैपिटल का वैल्यूएशन “करीब-करीब वाजिब” है. कंपनी का RoA रिटर्न ऑन एसेट्स 1.9% और P/B 4.1x है, जबकि NBFC सेक्टर का औसत RoA 3% और P/B 3.7x है.
खासकर उन निवेशकों के लिए जो ब्रांड वैल्यू और स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं.
भरोसे का IPO या वैल्यूएशन का खेल
टाटा कैपिटल का IPO एक दिलचस्प मिश्रण है — जहां वित्तीय आंकड़े संयमित हैं, मगर ब्रांड वैल्यू ऊंची है.
सवाल अब यही है —क्या निवेशक “टाटा” नाम के भरोसे पर दांव लगाएंगे, या वैल्यूएशन की ऊंचाई उन्हें सोचने पर मजबूर करेगी।