भारतीय वास्तुशास्त्र में दक्षिण दिशा को लेकर विशेष सावधानियां बरती जाती हैं. इसे यम (मृत्यु के देवता) से जोड़ा गया है, जिसके चलते कई लोग दक्षिणमुखी घर खरीदने से बचते हैं. वे मानते हैं कि ऐसा घर उनके लिए दुर्भाग्य लेकर आएगा. लेकिन ज्योतिषाचार्य पंडित रवि शंकर का कहना है कि यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है. उनका मानना है कि सही वास्तु उपायों और उचित योजना के साथ दक्षिणमुखी घर भी सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और समृद्धि देने वाला बन सकता है.
ऊर्जा का असंतुलन और मानसिक प्रभाव
पंडित रवि शंकर बताते हैं कि दक्षिण दिशा गर्म और तीव्र ऊर्जा वाली होती है. यदि इसका प्रबंधन ठीक ढंग से न किया जाए तो यह घर में तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और पारिवारिक कलह पैदा कर सकती है. दक्षिणमुखी घरों में सूर्य की रोशनी कम होती है, जिससे वातावरण उदासीपूर्ण रह सकता है और लोग मानसिक तनाव या डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि वास्तुशास्त्र केवल ऊर्जा संतुलन पर ध्यान देता है, न कि अंधविश्वास पर.
धन-संपत्ति और व्यवसाय पर प्रभाव
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, दक्षिणमुखी घरों में धन टिकता नहीं और खर्चे बढ़ जाते हैं. यदि मुख्य द्वार वास्तु नियमों के अनुसार न बनाया गया हो, तो यह आर्थिक हानि और व्यवसाय में रुकावट का कारण बन सकता है. पंडित रवि शंकर का कहना है कि यह नकारात्मक प्रभाव केवल तब होता है जब वास्तु नियमों का पालन नहीं किया गया हो.
सामाजिक मान्यता और मानसिक तनाव
समाज में पहले से फैली मान्यताओं के कारण लोग दक्षिणमुखी घर को लेकर डर या संदेह रखते हैं. ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस मानसिक तनाव का असर घर के वातावरण और परिवार के स्वास्थ्य पर पड़ता है.
दक्षिणमुखी घर को शुभ बनाने के उपाय
पंडित रवि शंकर ने बताया कि दक्षिणमुखी घर भी सही उपायों से बहुत शुभ हो सकता है. मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए. उत्तर और उत्तर-पूर्व भाग खुला और साफ-सुथरा रखें. दक्षिण दिशा की दीवारें भारी और ऊँची और उत्तर दिशा हल्की रखें. घर में वास्तु यंत्र, दर्पण और पौधों का उचित प्रयोग करें. नियमित हवन, दीपक जलाना और मंत्रों का जाप सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने में मदद करता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित रवि शंकर का मानना है कि केवल दिशा के नाम पर घर को अशुभ मानना गलत है. दक्षिणमुखी घर सही योजना और वास्तु उपायों के साथ घरवालों के लिए सुख, सफलता और समृद्धि लाने वाला बन सकता है. यह केवल मिथक नहीं, बल्कि सही प्रबंधन और ऊर्जा संतुलन का परिणाम है.