कोरबा:- आदिवासी जिला कोरबा के लगभग 60 हजार किसान पीएम किसान सम्मान योजना से अपात्र किए गए हैं. केंद्र सरकार छोटे एवं सीमांत किसानों को सालाना ₹6000 उनके बैंक खाते में प्रदान करती है. यह किसानों के लिए बड़ा आर्थिक संबल होता है. लेकिन कोरबा जैसे आदिवासी जिले के किसान बड़े पैमाने पर इस योजना से वंचित रह गए हैं. कृषि विभाग के अनुसार दस्तावेजी प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने के कारण ऐसा हुआ. जबकि अपात्र किए गए कई किसान भूमिहीन, इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले या आवासीय भूमि वाले हैं. कारण चाहे जो भी हो, फिलहाल केंद्र सरकार के पीएम किसान पोर्टल पर कोरबा जिले के लगभग 60 हजार किसान अपात्र हैं. जो इस योजना के लाभ से वंचित हैं. केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान पोर्टल पर पंजीयन के लिए ई केवाईसी बेहद महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इसके बिना किसान को योजना का लाभ नहीं मिल सकता. यह प्रक्रिया भी कई किसान पूरी नहीं कर सके हैं, ऐसी जानकारी है.
ट्राइबल जिला होने के कारण ज्यादातर किसान आदिवासी: कोरबा को भले ही बिजली उत्पादन के लिए ऊर्जाधानी की संज्ञा दी गई है, लेकिन यह अब भी एक ट्रायबल जिला है. ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले ज्यादातर किसान आदिवासी वर्ग से आते हैं. किसानों की शैक्षणिक क्षमता भी उतनी नहीं है, कि वह ऑनलाइन पंजीयन की व्यवस्था को स्वयं समझ सकें. ऐसे में कृषि विभाग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है.
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया: इस योजना का लाभ किसानों को दिलवाने के लिए कृषि विभाग के ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी को अहम जिम्मेदारी दी गई है. वह गांव में मौजूद रहकर किसानों के ऑनलाइन आवेदन करवाने से लेकर किसानों को इस योजना का लाभ दिलवाने तक की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं. कहीं न कहीं कृषि विभाग भी अपनी भूमिका को पूरी तरह से निभाने में नाकाम रहा है. किसान भी पूरी तत्परता से दस्तावेजी प्रक्रिया को पूरी नहीं कर सके हैं. जिसके कारण वह केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना से अब तक वंचित हैं.
मिलते हैं 6 हजार रुपये सालाना: पीएम-किसान सम्मान निधि केंद्र सरकार की योजना है. जो पूरे भारत में छोटे और सीमांत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है. इस पहल के तहत, पात्र किसानों को तीन समान किस्तों में सालाना ₹6,000 सीधे उनके बैंक खातों में मिलते हैं. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान योजना) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है. सभी भूमिधारक किसान परिवारों इसके लिए पात्र हैं.
सीएससी सेंटर से करना होता है पंजीयन: किसान सम्मान निधि प्राप्त करने के लिए किसान को केंद्र का सरकार की पीएम किसान पोर्टल पर पंजीयन करना पड़ता है. नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर(सीएससी)पर जाकर पंजीकरण कराया जा सकता है. ओटीपी-आधारित ई-केवाईसी (ऑनलाइन विधि) से पीएम किसान केवाईसी ऑनलाइन पूरा करने के लिए आधिकारिक पीएम-किसान पोर्टल पर प्रक्रिया पूरी की जाती है. पंजीयन के लिए ऑफलाइन प्रक्रिया का भी विकल्प है. लेकिन वह ज्यादा प्रचलित नहीं है. कृषि विभाग के अधिकारी ऑफलाइन प्रक्रिया के जरिए ही पंजीयन करने के सलाह देते हैं. तकनीकी सलाह भी उपलब्ध कराई जाती है.
लैंड, आधार सीडिंग और ईकेवाईसी जरूरी: जिला कृषि अधिकारी डीपीएस कंवर ने बताया कि कोरबा जिले में फिलहाल 1 लाख 44 हजार 87 किसान पीएम किसान पोर्टल में पंजीकृत हैं. जिसमें से 58000 किसान पात्र हैं. कुछ समय पहले तक यह संख्या लगभग 62 हजार थी. पीएम किसान सम्मान निधि प्राप्त करने के लिए किसानों का लैंड सीडिंग, बैंक खाते से आधार सीडिंग और ई केवाईसी जरूरी है. यदि यह पूरा नहीं है, तो नजदीकी च्वॉयस सेंटर या ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है. कई किसान भूमिहीन, इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले और आवासीय भूमि वाले भी हैं. इसलिए भी वह अपात्र हैं.
नहीं मिल रहा है योजना का लाभ: कोरबा जिले के गांव रिसदी के किसान राजकुमार यादव कहते हैं कि मुझे तो इस योजना का लाभ मिल रहा है, हाल ही में मेरा नाम जुड़ गया है, लेकिन परिवार के कई किसान हैं, जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, गांव के कई किसान ऐसे हैं. जिनका नाम कट गया है. उनकी केवाईसी पूरी नहीं हो पाई या कई दस्तावेज अधूरे हैं. वह कृषि कार्यालय भी गए थे, लेकिन उन्हें अभी योजना का लाभ नहीं मिला है. इस योजना से जो 6000 मिलते हैं. वह काफी काम आता है. अभी खेतों में दवा का छिड़काव आदि करना है जिससे काफी मदद मिलती है.
क्या कहते हैं दूसरे किसान: रिसदी के ही किसान लगन सिंह कंवर कहते हैं कि मेरे आधार कार्ड में नाम की त्रुटि की वजह से मुझे योजना का लाभ नहीं मिल पाया. आधार और बैंक खाते में नाम अलग होने के कारण इसे सुधार करवाने को कहा गया है. मैंने ग्राम सेवक को दस्तावेज सौंप दिए हैं. उसने कहा है कि महीने भर का समय लग जाएगा. इसके बाद मेरा नाम जुड़ जाएगा. योजना से जो पैसा मिलता है, वह बहुत काम आता. एक एकड़ में कम से कम 25000 की लागत आती है, मैने इस बार खेत में पतला धान बोया है. गांव में ढेर सारे किस ऐसे हैं, जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. वह लगातार विभाग के चक्कर भी लगाते हैं.

