35 साल की रंजना ठाकुर शिमला के रामपुर की रहने वाली हैं. 2023 में उन्हें अचानक बाएं स्तन में एक हल्की गांठ महसूस हुई. बाएं स्तन में मटर के दाने जितनी हल्की गांठ महसूस होने पर उन्होंने इसे नजरअंदाज किया, सोचा कि शायद हार्मोनल बदलाव या पीरियड्स से जुड़ा होगा. जब दो महीने बाद दर्द बढ़ा, तब उन्होंने IGMC शिमला में जांच करवाई. जांच के बाद डॉक्टर ने बताया ये ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती स्टेज है. IGMC के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मनीष गुप्ता ने बताया कि रंजना का केस आज के दौर की हकीकत है. पहले 45–50 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते थे, अब 25–35 साल की युवतियां भी इसके शिकार बन रही हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि युवा महिलाएं इस बीमारी को ‘बूढ़ी उम्र की समस्या’ मानकर नजरअंदाज कर देती हैं, जिससे कैंसर देर से पकड़ में आता है.
दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर का कोहराम
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर दुनिया भर की महिलाओं में सबसे आम कैंसर है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया भर में 2.3 मिलियन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पता चला. इसके अलावा साल 2022 में ही दुनिया भर में लगभग 6,70,000 मौतें हुई. डॉक्टर के अनुसार यह यौवन के बाद किसी भी उम्र की महिलाओं में हो सकता है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसकी दरें बढ़ती जाती हैं.
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मनीष गुप्ता कहते हैं, “युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का बढ़ना आधुनिक जीवनशैली की देन है. अनियमित दिनचर्या, देर से मां बनना, तनाव, नींद की कमी, जंक फूड, और हार्मोनल असंतुलन मुख्य वजहें हैं. अब यह बीमारी सिर्फ उम्र से नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल और जेनेटिक फैक्टर से भी जुड़ी हुई है. कई बार महिलाएं कामकाजी होती हैं और अपने लक्षणों को नजरअंदाज कर देती हैं. शुरुआती स्टेज में अगर ब्रेस्ट कैंसर पकड़ा जाए तो इलाज की सफलता दर 90 प्रतिशत तक होती है.
क्यों बढ़ रहा है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
कैंसर विशेषज्ञ के अनुसार, देर से शादी और देर से मातृत्व सुख पाने की के चलते शरीर में लंबे समय तक एस्ट्रोजन हार्मोन सक्रिय रहता है. जंक फूड और चीनी का ज्यादा सेवन भी हार्मोनल बदलाव को बढ़ाता है. गर्भनिरोधक गोलियों या हार्मोनल दवाओं का लंबे समय तक सेवन भी ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य कारणों में से एक हैं.
तनाव और नींद की कमी इम्यून सिस्टम को कमजोर करते हैं. इसके अलावा कंप्यूटर या ऑफिस लाइफस्टाइल से शारीरिक निष्क्रियता बढ़ती है, जिसके चलते ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बना रहता है. इसके अलावा फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक कारण यानी मां या बहन को कैंसर होने पर खतरा दोगुना हो जाता है.
पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा
IGMC के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. मनीष गुप्ता कहते हैं कि, “पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर होता है और उसे भी ब्रेस्ट कैंसर ही कहा जाता है. हालांकि पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर की संख्या काफी कम है. उदाहरण के तौर पर अगर हर साल 200-250 महिला ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं तो लगभग एक प्रतिशत यानी 10 से भी कम मेल ब्रेस्ट कैंसर के मरीज आते हैं. मेल ब्रेस्ट कैंसर के मामले में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, लगभग समान ही है. अक्सर यह निप्पल के पीछे एक कठोर गांठ या सूजन के रूप में शुरू होता है. पुरुष भी अगर किसी तरह की गांठ, दर्द, या स्राव महसूस करें तो तुरंत जांच करवाएं, क्योंकि शुरुआती स्टेज में इसका इलाज पूरी तरह संभव है. पुरुषों में यह कैंसर हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, लिवर की समस्या, या एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता के कारण हो सकता है.