रायपुर। छत्तीसगढ़ इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। राज्य के पांच बड़े बांध – मुरूमसिल्ली, मोगरा बैराज, पेंड्रावन, मयाना और घुमरिया – पूरी तरह से सूख चुके हैं। वहीं आठ अन्य बांधों में जल स्तर 10% से भी नीचे पहुंच गया है। यह लगातार तीसरा साल है जब जल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
प्रदेश के प्रमुख बांधों का जलस्तर शून्य पर, संकट की चेतावनी
गर्मी की शुरुआत के साथ ही राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई हिस्सों में जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। खासकर कृषि, पेयजल आपूर्ति और पर्यावरणीय संतुलन पर इसका गहरा प्रभाव देखा जा रहा है।
देखिए बांधों में जल स्तर का खतरनाक गिरावट (प्रतिशत में तुलना):
बांध का नाम | 2025 | 2024 | 2023 |
---|---|---|---|
मुरूमसिल्ली | 0.01% | 0.00% | 31.5% |
मोगरा बैराज | 0.00% | 20% | 14% |
पेंड्रावन | 0.00% | 5.3% | 16.8% |
मयाना | 0.00% | 2.8% | 20.3% |
घुमरिया | 0.00% | 1.1% | 14.3% |
इन आंकड़ों से साफ है कि अगर जल प्रबंधन और संरक्षण को लेकर अब भी गंभीर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और विकराल हो सकती है।
जल संकट के पीछे क्या हैं मुख्य कारण?
- लगातार तीन साल से कमजोर मानसून
- वर्षा जल संचयन की व्यवस्था नहीं
- जल स्रोतों की सफाई और रखरखाव की कमी
- अनियंत्रित और बेजा जल उपयोग
- गांवों और कस्बों में जल साक्षरता की कमी
सरकार और प्रशासन के लिए संकट का बिगुल
ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खेती ठप पड़ने की नौबत आ चुकी है, वहीं शहरी क्षेत्रों में पेयजल की भारी किल्लत देखी जा रही है। जल संसाधन विभाग और राज्य सरकार के सामने अब स्थायी जल समाधान खोजने की चुनौती खड़ी हो गई है।
विशेषज्ञों की राय: समाधान क्या हो सकते हैं?
- वर्षा जल संग्रहण को अनिवार्य किया जाए
- गांव-गांव में तालाबों की खुदाई और पुनरुद्धार हो
- छोटे जलाशयों और चेक डैम का निर्माण बढ़े
- स्कूलों, पंचायतों में जल संरक्षण पर जागरूकता अभियान चलें
- ‘जल साक्षरता अभियान’ को मिशन मोड पर लागू किया जाए