नई दिल्ली:- इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी फटने से राख का गुब्बार हवा में उड़कर सोमवार रात उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में फैल गया. इससे राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली-एनसीआर और पंजाब में विजिबिलिटी कम हो गई और एयर ट्रैफिक प्रभावित हुआ.
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन के अनुसार एयरलाइंस और एयरपोर्ट को एक एडवाइजरी भेजी गई थी जिसमें उन्हें ज्वालामुखी की राख से होने वाली ऑपरेशनल चुनौतियों के बारे में आगाह किया गया था. रेगुलेटर ने ऑपरेटरों से अलर्ट रहने, रियल-टाइम अपडेट पर नजर रखने और हालात बदलने पर जरूरी सुरक्षा उपाय अपनाने को कहा.
राख के बादल के फैलने की वजह से फ्लाइट सर्विस पर तुरंत असर पड़ा. अकासा एयर, इंडिगो और केएलएम ने कई ऑपरेशन कैंसिल कर दिए. जैसे-जैसे एयरलाइंस ने अपने रूट और शेड्यूल बदले, एविएशन अथॉरिटी बदलती स्थिति का अंदाजा लगाती रही. इससे पहले सोमवार को जारी एक अलग एडवाइजरी में डीजीसीए ने एयरलाइंस को रविवार को हुए हेली गुब्बी विस्फोट से निकली राख से प्रभावित खास ऊंचाई और इलाकों से बचने का निर्देश दिया था.
एयरपोर्ट को राख के कंटैमिनेशन के लिए रनवे की जांच करने और जरूरत पड़ने पर कुछ समय के लिए ऑपरेशन रोकने के लिए भी कहा गया था. अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि देरी और डायवर्जन हो सकता है. राख के बादल के बढ़ने से कुछ फ्लाइट में रुकावट आई. इंडिगो की कन्नूर-अबू धाबी फ्लाइट सोमवार को प्रभावित कॉरिडोर से बचने के लिए अहमदाबाद डायवर्ट कर दी गई, जबकि अबू धाबी में ऑपरेट करने वाली एक और भारतीय एयरलाइन ने अपनी वापसी यात्रा शुरू करने से पहले इंजन की अच्छी तरह जांच की.
डीजीसीए की एडवाइजरी के बाद एयर इंडिया ने भी सोमवार को एक्स पर एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया, ‘इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने के बाद कुछ खास जगहों पर राख के बादल देखे गए. हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं और अपने ऑपरेटिंग क्रू के साथ लगातार संपर्क में हैं.
इस समय एयर इंडिया की फ्लाइट्स पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है. हम अपने यात्रियों, क्रू और एयरक्राफ्ट की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने एहतियाती प्लान के तहत सभी जरूरी कदम उठाएंगे, जो हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. पूरे नेटवर्क में हमारी ग्राउंड टीमें यात्रियों को सपोर्ट करती रहेंगी और उन्हें उनकी फ्लाइट के बारे में अपडेट देती रहेंगी.’
अकासा एयर ने भी एक्स पर एक अपडेट शेयर किया, जिसमें बताया गया, ‘हम इथियोपिया में ज्वालामुखी की गतिविधि और फ़्लाइट ऑपरेशन पर इसके संभावित असर पर करीब से नजर रख रहे हैं. पैसेंजर की सुरक्षा और सेहत हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है.’ इस बीच राख का गुबार ओमान और यमन से आगे बढ़ता रहा. इसकी तेजी धीरे-धीरे कम होने की उम्मीद थी क्योंकि यह जमीन और समुद्र के ऊपर से गुजरा.
इससे पहले इंडियामेटस्काई वेदर की ओर से इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी से राख का बादल पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में घुसने और कई उत्तरी राज्यों से गुजरने की उम्मीद जाहिर की थी. मौसम विभाग ने कहा, ‘राख का बादल गुजरात (पश्चिम की ओर) में घुसने वाला है और रात 10 बजे तक राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा और बाद में यह हिमालय और दूसरे इलाकों पर असर डालेगा.’
ज्वालामुखी फटने के दौरान हवा में उड़ी राख का गुबार 100-120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर भारत की तरफ बढ़ा. यह 15,000-25,000 फीट से लेकर 45,000 फीट की ऊंचाई तक रहा. इसमें ज्वालामुखी की राख, सल्फर डाइऑक्साइड, और कांच और पत्थर के छोटे कण हैं.
इंडिया मेटस्काई वेदर ने चेतावनी दी कि राख की वजह से सामान्य से ज्यादा काला और धुंधला दिख सकता है और इससे एयर ट्रैफिक में रुकावट आ सकती है. जिससे देरी हो सकती है और यात्रा का समय बढ़ सकता है. यह आसमान में 15-25,000 से 45,000 फीट ऊपर होता है. राख का बादल गुजरात (पश्चिम की ओर) में घुसने वाला है और रात 10 बजे तक राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की ओर बढ़ेगा और बाद में यह हिमालय और दूसरे इलाकों पर असर डालेगा.

