साल 2025 की शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को है. यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. शास्त्रों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होते हैं और उनकी किरणों से अमृत बरसता है. इसी वजह से शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने और ग्रहण करने का विशेष महत्व है.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने का उद्देश्य न केवल आरोग्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति है, बल्कि यह आध्यात्मिक बल भी प्रदान करता है. मान्यता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा की शक्तियां दोगुनी हो जाती हैं और इस दौरान किया गया कोई भी शुभ कार्य विशेष लाभकारी होता है.
खीर रखने का शुभ मुहूर्त
उमाशंकर मिश्र ने बताया, साल 2025 में शरद पूर्णिमा के दिन भद्रा काल का साया भी रहेगा. भद्रा काल को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है, इसलिए इस समय कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. 6 अक्टूबर की रात भद्रा काल 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा. इस समय के समाप्त होने के बाद ही खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना शुभ माना गया है.
इस दिन खीर रखने की प्रक्रिया सरल है. सबसे पहले खीर को तैयार करें और उसे किसी खुले स्थान या छत पर चंद्रमा की रोशनी में रखें. खीर को पूरी रात वहीं रहने दें ताकि चंद्रमा की किरणें इसमें पूर्ण रूप से समाहित हो जाएं. सुबह इस खीर का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है.
शरद पूर्णिमा की महत्वता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा का दिन आरोग्य, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रतीक है. खीर को ग्रहण करने से शरीर और मन दोनों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह दिन साधना और पूजा के लिए भी उपयुक्त माना जाता है. इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रखा गया भोजन व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और जीवन में सुख-शांति लाता है.
इसलिए शरद पूर्णिमा पर खीर को शुभ समय में चंद्रमा की रोशनी में रखना और फिर उसे ग्रहण करना अत्यंत लाभकारी है. इस धार्मिक परंपरा का पालन करने से केवल स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक सशक्तिकरण भी मिलता है.