नई दिल्ली :- आई कैंसर या नेत्र कैंसर तब होता है जब आंख के अंदर या आसपास की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़कर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं. ये ट्यूमर सौम्य (गैर-कैंसरयुक्त) या घातक (कैंसरयुक्त) हो सकते हैं. घातक ट्यूमर बढ़कर शरीर के अन्य भागों में फैल सकते हैं. कैंसर को फैलने से रोकने के लिए जल्द पहचान और इलाज बेहद महत्वपूर्ण हैं. यदि समय पर पता चल जाए, तो कई आंखों के कैंसर का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है, जिससे दृष्टि और समग्र स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है. लक्षणों के प्रकट होने से पहले संभावित समस्याओं की पहचान करने के लिए रेगुलर आई चेकअप आवश्यक है…
नेत्र कैंसर के लक्षणों की पहचान
कैनेडियन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, आंखों का कैंसर कई तरह से प्रकट हो सकता है.सामान्य लक्षणों में शामिल हैं…
दृष्टि संबंधी समस्याएं: धुंधली दृष्टि, distorted vision, परिधीय दृष्टि की हानि, या अचानक दृष्टि हानि।.
फ्लोटर्स और फ्लैशेस: आपकी दृष्टि के क्षेत्र में धब्बे या टेढ़े-मेढ़े निशान या प्रकाश की चमक
आंखों में बदलाव: आंख के आईरिस या सफेद भाग पर एक बढ़ता हुआ काला धब्बा, पुतली के साइज या शेप में बदलाव, या आंख का उभार.
आंखों में जलन: लगातार जलन या लालिमा जो ठीक नहीं होती.
गांठें या उभार: पलक पर या आईबॉल में एक बढ़ती हुई गांठ.
आंखों की गति में बदलाव: आंख के सॉकेट के भीतर मूवमेंट करने के तरीके या आईबॉल की स्थिति में बदलाव
जल्द पहचान बेहद जरूरी
अक्सर, आंखों का कैंसर का पता किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ या ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा नियमित नेत्र परीक्षण के दौरान लगाया जाता है. यदि आपको अपनी दृष्टि या नेत्र स्वास्थ्य में कोई असामान्य परिवर्तन दिखाई देता है, तो पूरी जांच के लिए डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेना आवश्यक है,
नेत्र कैंसर के रिस्क फैक्टर्स
कुछ फैक्टर्स नेत्र कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं. इनमें शामिल हैं…
ऐज: रेटिनोब्लास्टोमा को छोड़कर, जो 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है, ज्यादातर नेत्र कैंसर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में पाए जाते हैं.
त्वचा और आंखों का रंग: गोरी त्वचा और हल्की आंखों (नीली या हरी) वाले लोग गहरे रंग की त्वचा और आंखों (भूरी) वाले लोगों की तुलना में नेत्र कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं.

वंशानुगत स्थितियां: कुछ Hereditary Conditions, जैसे डिस्प्लास्टिक नेवस सिंड्रोम या BAP1 ट्यूमर प्रीडिस्पोजिशन सिंड्रोम, आई कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकती हैं.
अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन: सन लाइट या टैनिंग बेड से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन और Intraocular melanoma के बढ़ते रिस्क के बीच संभावित कनेक्शन्स है, लेकिन इस पर और शोध की जरूरत है. कई अध्ययनों से पता चला है कि यूवी रेडिएशन, जो सूर्य और टैनिंग बेड दोनों से आता है, स्किन कैंसर और आंखों का कैंसर या आंखों की कुछ समस्याओं का कारण बन सकता है. रेगुलर आई टेस्ट और इन रिस्क फैक्टर्स के बारे में जागरूकता शुरुआती पहचान और इलाज में मदद कर सकती है.
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, आंखों के कैंसर कई प्रकार के होते हैं , लेकिन सबसे आम प्रकार आंखों का मेलेनोमा है .(मेलेनोमा आंखों की तुलना में त्वचा में अधिक आम है.) मेलेनोमा आमतौर पर आंख की मध्य परत में शुरू होता है, जिसे यूविया कहते हैं. इसे यूवियल मेलेनोमा कहते हैं. मेलेनोमा आंख के अन्य स्थानों पर भी शुरू हो सकता है, जैसे कंजंक्टिवा , जो आंख के सफेद भाग पर एक पतली पारदर्शी परत होती है. इसे कंजंक्टिवल मेलेनोमा कहते हैं. अगर आखों में उपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से जरूर मिले. आपका डॉक्टर आपको आपकी आंखों के कैंसर के प्रकार के बारे में अधिक जानकारी दे सकता है.

