रायपुर। राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के चेयरमैन डॉ. बीपी नोन्हारे को उनके पद से हटा दिया है। यह कदम हाईकोर्ट में नोन्हारे की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया, जबकि नोन्हारे के कार्यकाल के 3 महीने शेष थे।
डॉ. बीपी नोन्हारे, जो आईएफएस के 85 बैच के अधिकारी हैं, को भूपेश सरकार ने रिटायरमेंट के बाद पर्यावरण की राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति का चेयरमैन नियुक्त किया था। यह समिति पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए अनिवार्य अनुशंसा करती है। डॉ. नोन्हारे के खिलाफ पर्यावरण क्लीयरेंस से संबंधित प्रकरणों को लेकर पिछली और वर्तमान सरकार में भी शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
जानकारी के अनुसार, सेवा अवधि के दौरान जांच प्रकरणों को नजरअंदाज कर नोन्हारे को चेयरमैन बनाया गया था। इसके खिलाफ विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अलग-अलग स्तरों पर शिकायतें की थीं। इस संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता विजय पटेल ने हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस एनके व्यास की एकल पीठ ने सरकार से जवाब मांगा था।
केंद्र सरकार ने भी नोन्हारे के खिलाफ शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था। राज्य सरकार के जवाब के बाद केंद्र ने नोन्हारे को हटाने की अनुशंसा की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने डॉ. नोन्हारे को पदमुक्त करने के आदेश जारी किए। आवास पर्यावरण विभाग के संयुक्त सचिव सी टिर्की ने इस आदेश को जारी करते हुए स्पष्ट किया कि 16 जुलाई के बाद समिति द्वारा की गई बैठकें अमान्य मानी जाएंगी।