अमृतसर:- बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. लेकिन पंजाब के अमृतसर में इस दिन को याद करके आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. अमृतसर के जोड़ा फाटक पर हुए दुखद दशहरा हादसे को आठ साल बीत चुके हैं, लेकिन हादसे में मारे गए लोगों के परिवार आज भी इस दुखद घटना को याद करके भावुक हो जाते हैं.
पीड़ित परिवारों ने इस बार भी दशहरा उत्सव नहीं मनाया. अपनों को खोने वालों का कहना है कि आज भी उस दिन को याद करके उनकी रूह कांप जाती है. कई बुजुर्गों ने कहा कि जिन लोगों को वे अपने कंधों पर उठाकर जंगल में ले जाने वाले थे, वे इस त्रासदी में जंगल में ही रह गए. यह भयावह दृश्य सभी के लिए दर्दनाक था. उन्होंने कहा कि तमाम विरोध प्रदर्शनों के बावजूद सरकार टस से मस नहीं हुई, लेकिन इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार मौजूदा रले मंत्री ने सिर्फ विलाप ही किया. उन्होंने कहा कि अब यहां दशहरा उत्सव बंद हो गया है.
मेरी बहू मुझे छोड़कर चली गई…
आठ साल पहले हुए दुखद रेल हादसे के बारे में बात करती हुईं मृतक दलबीर सिंह की मां ने कहा कि इस दुखद हादसे के आठ साल और लंबे संघर्ष के बाद भी सरकार ने उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्हें सरकारी नौकरी तक नहीं दी है. वह कहती हैं, “मेरी बहू सरकारी मदद लेकर चली गई. हम एक बच्चे का पालन-पोषण कर रहे हैं. किसी ने हमारा साथ नहीं दिया. अगर सरकार हमें नौकरी देती, तो आज हमारा परिवार ठीक से गुजारा कर पाता. हमारे परिवार के किसी और सदस्य को नौकरी मिलनी चाहिए थी. हम सरकार से हमारी मदद की मांग करते हैं.”
2018 में हुए रेल हादसे में 60 लोग मार गए
19 अक्टूबर 2018 को दशहरे की शाम, अमृतसर के बाहरी इलाके जोड़ा फाटक पर ट्रेन ने लोगों की भीड़ को टक्कर मार दी. इस ट्रेन हादसे में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई और करीब 200 लोग घायल हुए थे. यह दुखद हादसा उस समय हुआ जब बड़ी संख्या में लोग जोड़ा फाटक पर दशहरा देखने के लिए इकट्ठा हुए थे और कई लोग रेल पटरियों पर बैठे थे. अचानक एक डीएमयू ट्रेन आई और लोगों को कुचल दिया. जलते हुए पुतलों से निकलने वाले पटाखों के शोर के कारण लोगों को पता ही नहीं चला कि ट्रेन आ रही है. ट्रेन ड्राइवर ने ब्रेक लगाने की कोशिश की, लेकिन तब तक हादसा हो चुका था.

