आज सोमवार 22 सितंबर से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर घरों में माता की आराधना शुरू हो गई है। पंडालों में माता रानी की झांकियां तैयार हें। प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
ऐसे में यदि आप आज सुबह घर पर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाए हैं तो चलिए हम आपको बताते हें कि सुबह के बाद शाम को घर पर कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त क्या हैं। साथ ही जानेंगे कि कलश रखने के नियम क्या हैं।
नारियल कहां और कैसे रखना चाहिए। एश्वर्य, धन, अरोग्य प्राप्ति के लिए नवरात्रि में कौन से उपाय करना चाहिए, माता रानी को कौन-कौन से भोग लगाना चाहिए। जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से।
नवरात्रि में करना न भूलें अनार का ये उपाय
नवरात्रि में वैसे तो माता रानी को कई तरह के भोग माता रानी को लगाए जा रहे हैं। लेकिन नवरात्रि पर अनार का भोग माता रानी को विशेष पसंद होता है।
नवरात्रि के पहले दिन माता रानी को एक अनार का भोग लगाएं। इस अनार को पूरे नौ दिन तक रखा रहने दें।
नवरात्रि के आखिरी दिन इस अनार को लेकर पूरे घर में प्रसाद के रूप में बांट दें।
आपको बता दें अनार को संस्कृत में दाड़िम कहा जाता है। संस्कृत में अनार को दाड़िम कहा जाता है।
शारदीय नवरात्रि आज से, इन चीजों के भोग से प्रसन्न होती हैं मैया, देखें क्या-क्या है शामिल*आज सोमवार 22 सितंबर से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर घरों में माता की आराधना शुरू हो गई है। पंडालों में माता रानी की झांकियां तैयार हें। प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।ऐसे में यदि आप आज सुबह घर पर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाए हैं तो चलिए हम आपको बताते हें कि सुबह के बाद शाम को घर पर कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त क्या हैं। साथ ही जानेंगे कि कलश रखने के नियम क्या हैं।नारियल कहां और कैसे रखना चाहिए। एश्वर्य, धन, अरोग्य प्राप्ति के लिए नवरात्रि में कौन से उपाय करना चाहिए, माता रानी को कौन-कौन से भोग लगाना चाहिए। जानते हैं ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री से।नवरात्रि में करना न भूलें अनार का ये उपायनवरात्रि में वैसे तो माता रानी को कई तरह के भोग माता रानी को लगाए जा रहे हैं। लेकिन नवरात्रि पर अनार का भोग माता रानी को विशेष पसंद होता है।नवरात्रि के पहले दिन माता रानी को एक अनार का भोग लगाएं। इस अनार को पूरे नौ दिन तक रखा रहने दें।नवरात्रि के आखिरी दिन इस अनार को लेकर पूरे घर में प्रसाद के रूप में बांट दें।आपको बता दें अनार को संस्कृत में दाड़िम कहा जाता है। संस्कृत में अनार को दाड़िम कहा जाता है।
मां दुर्गा के पंसदीदा भोग1: माता रानी को अनार का भोग क्यों लगाना चाहिएमां दुर्गा ने जब भगवती का अवतार लिया था उस दौरान दानव का वध करने के दारैरान उनके दांत दाड़िम के समान हो गए थे। इसलिए उन्हें अनार का भोग लगाना शुभ माना जाता है।2: पंच मेवा में क्या होना चाहिएमाता रानी के भोग में पंच मेवा जरूर होना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पंचमेवा में किसमिस, खारक, अचार वाली चिरौंजी, बादाम और मिश्री शामिल होती है।3: गुड का भोगमाता रानी को बाजार की खरीदी मिठाई की अपेक्षा घर की बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। इसमें मिश्री के अलावा गुड का भोग माता रानी को जरूर चढ़ाना चाहिए।4: खीर का भोगमां दुर्गा को खीर का भोग जरूरी लगाना चाहिए।
1: माता रानी को अनार का भोग क्यों लगाना चाहिए
मां दुर्गा ने जब भगवती का अवतार लिया था उस दौरान दानव का वध करने के दारैरान उनके दांत दाड़िम के समान हो गए थे। इसलिए उन्हें अनार का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
2: पंच मेवा में क्या होना चाहिए
माता रानी के भोग में पंच मेवा जरूर होना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार पंचमेवा में किसमिस, खारक, अचार वाली चिरौंजी, बादाम और मिश्री शामिल होती है।
3: गुड का भोग
माता रानी को बाजार की खरीदी मिठाई की अपेक्षा घर की बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। इसमें मिश्री के अलावा गुड का भोग माता रानी को जरूर चढ़ाना चाहिए।
4: खीर का भोग
मां दुर्गा को खीर का भोग जरूरी लगाना चाहिए।

