रायपुर। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए भारतीय रेलवे ने सुरक्षा के लिहाज से बड़ा कदम उठाया है। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस सहित कुल 28 ट्रेनों के मार्ग में बदलाव किया गया है। अगले तीन दिनों तक ये ट्रेनें अपने अंतिम गंतव्य अमृतसर के बजाय मेरठ तक ही संचालित होंगी। इसके साथ ही रायपुर, बिलासपुर और अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त कर दिया गया है।
ट्रेनों का रूट क्यों बदला गया?
भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर रेलवे बोर्ड ने यह फैसला लिया है। हालांकि दोनों देशों के बीच युद्धविराम लागू है, फिर भी एहतियात के तौर पर पंजाब की ओर जाने वाली ट्रेनों के संचालन में बदलाव किया गया है। रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए यह कदम उठाया है।
छत्तीसगढ़ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने सभी प्रमुख स्टेशनों और ट्रेनों पर निगरानी तेज कर दी है।
डॉग स्क्वॉड और बम निरोधक दस्तों के साथ संदिग्ध वस्तुओं की जांच की जा रही है।
यात्रियों से अपील की गई है कि वे किसी भी असामान्य गतिविधि या संदिग्ध व्यक्ति की जानकारी तुरंत रेलवे अधिकारियों को दें।
रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
मॉक ड्रिल से परखी गई तैयारियां
बिलासपुर रेलवे जोन में हाल ही में एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। इस दौरान बम विस्फोट, आगजनी और अन्य आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की तैयारियों का अभ्यास किया गया। रेलवे, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और स्थानीय प्रशासन ने संयुक्त रूप से इस ड्रिल में हिस्सा लिया। इसका उद्देश्य किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तत्परता सुनिश्चित करना था।
पुलिस और रेलवे हाई अलर्ट पर
छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया है।
पुलिस महानिदेशक (DGP) के निर्देश पर सभी जिलों में अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
अधिकारियों को बिना अनुमति जिला मुख्यालय छोड़ने की मनाही है।
रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर सक्रिय किए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित सहायता प्रदान की जा सके।
हाईकोर्ट के समर वेकेशन पर विवाद
इस बीच, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भारत-पाक तनाव को देखते हुए समर वेकेशन को बढ़ाने का फैसला किया था। हालांकि, बार एसोसिएशन ने इस निर्णय का विरोध किया है। अधिवक्ताओं का तर्क है कि वेकेशन बढ़ाने से कानूनी प्रक्रियाओं में देरी होगी, जिसका असर मुवक्किलों पर पड़ेगा।

