बिलासपुर। हाई कोर्ट ने नक्सल आपरेशन के दौरान बहादुरी दिखाने वाले सब-इंस्पेक्टर अरुण मरकाम की याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह विभाग के सचिव को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पुलिस रेगुलेशन 1861 के रेगुलेशन एक्ट 70 के तहत याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का उचित निराकरण करने का आदेश दिया है।
ग्राम कोहिनपारा निवासी अरुण मरकाम, जो वर्ष 2018 में जिला बीजापुर के उसूर पुलिस थाने में उपनिरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) के पद पर पदस्थ थे, उन्होंने नक्सल विरोधी आपरेशन में अद्वितीय साहस का परिचय दिया। नडपल्ली के जंगल में किए गए आपरेशन के दौरान उन्होंने नक्सलियों को मार गिराने के साथ-साथ भारी मात्रा में हथियार और नक्सली साहित्य जब्त किया था। इसके बावजूद उन्हें आउट आफ टर्न प्रमोशन नहीं दिया गया, जिससे आहत होकर उन्होंने हाई कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई।
अरुण मरकाम ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और पीएस. निकिता के माध्यम से हाई कोर्ट बिलासपुर में रिट याचिका दायर की। याचिका में यह तर्क दिया गया कि उनके साथ आपरेशन में शामिल अन्य अधिकारियों को इंस्पेक्टर पद पर प्रमोशन दे दिया गया, लेकिन अरुण मरकाम को उनके महत्वपूर्ण योगदान के बावजूद इस अधिकार से वंचित रखा गया। गृह विभाग की नीति के अनुसार, नक्सल आपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अधिकारियों को आउट आफ टर्न प्रमोशन दिया जाना चाहिए। लेकिन याचिकाकर्ता के मामले में ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह का भेदभाव न केवल अधिकारी का मनोबल गिराता है बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत पुलिस अधिकारियों और जवानों के उत्साह पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।