गाजियाबाद:- सामने आई एक ऐसी ही सच्ची लेकिन सिहरन पैदा करने वाली कहानी. जहां एक पत्नी ने अपने ही पति की हत्या करवा दी, वो भी अपने प्रेमी के इशारे पर. पर प्यार का ये खेल यहीं खत्म नहीं हुआ, क्योंकि इस खूनी मोहब्बत की पटकथा में हर किरदार का अंत जेल की सलाखों के पीछे हुआ. यह कहानी है प्राची उर्फ आर्शी और उसके प्रेमी रिहान की. दोनों की मुलाकात किस्मत से हुई थी, लेकिन अंजाम तकदीर से लिखा गया कत्ल.
गाजियाबाद के थाना मसूरी इलाके में रहने वाला आसिफ उर्फ गुल्लू एक साधारण इंसान था. परिवार के लिए मेहनत करता था, दोस्तों के बीच मिलनसार और खुशमिजाज था. लेकिन शायद उसे नहीं पता था कि जिस दोस्त के साथ वह वक्त बिताता है, वही उसकी मौत का सौदागर बनेगा. रिहान, जो डासना की पुरानी पैठ में चिकन की दुकान चलाता था, आसिफ का पुराना दोस्त था. दोनों के बीच रिश्ते इतने गहरे थे कि रिहान का घर, आसिफ का दूसरा घर बन चुका था. मगर यहीं से कहानी ने करवट ली. मार्च 2024 में आसिफ किसी विवाद में जेल चला गया. जेल की चारदीवारी के पीछे से जब वह बाहर निकला, तब तक उसकी दुनिया बदल चुकी थी. उसकी पत्नी अरसी उर्फ प्राची अब उसी के दोस्त रिहान के साथ रिश्ता निभाने लगी थी.
पत्नी और दोस्त का रिश्ता
रिहान और प्राची के बीच नजदीकियां इतनी बढ़ीं कि दोनों ने साथ रहने के सपने देखने शुरू कर दिए. लेकिन बीच में सबसे बड़ी दीवार था आसिफ. जब अप्रैल 2025 में आसिफ जमानत पर घर लौटा, तो उसे पत्नी के बदलते व्यवहार और मोबाइल की गोपनीयता से शक हुआ. उसने पत्नी से सवाल किए, मोबाइल अपने पास रख लिया, और इसी से रिश्ते में जहर घुल गया. नाराज अरसी ने अपने प्रेमी रिहान से कहा अगर हमें साथ रहना है, तो इसे बीच से हटाना पड़ेगा. यानी अब हत्या की साजिश का बीज बोया जा चुका था.
रिहान ने अरसी को नशीली दवाइयां दीं ताकि वह आसिफ को धीरे-धीरे खत्म कर सके. योजना थी कि वह दवा मिलाकर पति को मार दे और किसी को शक भी न हो. मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था आसिफ बच गया. हत्या की कोशिश असफल रही, पर अब रिहान और अरसी दोनों के अंदर का खून खौलने लगा. वे ठान चुके थे कि इस बार काम अधूरा नहीं रहेगा.
दूसरा प्लान : 7 अक्टूबर की रात
7 अक्टूबर 2025 की शाम, घड़ी में करीब 8:15 बजे का समय था. गाजियाबाद के रफीकाबाद फाटक के पास सब कुछ सामान्य दिख रहा था, लेकिन झाड़ियों के पीछे छिपे थे पांच लोग रिहान, बिलाल, जीशान, उवैश, गुलफाम और दानिश. सबके हाथों में थे 315 बोर के तमंचे, और दिमाग में एक ही मकसद आसिफ को रास्ते से हटाना. उसी समय अरसी ने रिहान को फोन किया वो निकला है.
कत्ल की रात
आसिफ अपनी स्कूटी से निकल पड़ा. रफीकाबाद फाटक के पास जैसे ही पहुंचा, अचानक फायरिंग शुरू हो गई. तीन गोलियों की आवाज ने पूरे इलाके को दहला दिया. एक गोली सीधे आसिफ के सीने में लगी. वो मौके पर ही गिर पड़ा — उसकी जिंदगी उसी सड़क पर खत्म हो गई जहां वो रोज गुजरता था. हत्यारे अंधेरे में भाग निकले, और कुछ घंटों बाद गाजियाबाद की पुलिस टीम को सूचना मिली. शुरुआती जांच में मृतक के भाई भूरे उर्फ अनवर ने पुलिस को रिहान, बिलाल, फरमान और दो-तीन अज्ञात के नाम बताते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई.