रायपुर : माध्यमिक शिक्षा मंडल के एक फरमान ने शिक्षा विभाग ने हड़कंप मचा दिया है। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने एंट्री लेट फीस के नाम पर 25000 रुपये तक जमा करने का निर्देश दिया है। दरअसल हुआ यूं है कि कई स्कूलों में बच्चों की एंट्री नहीं हो पायी है। स्कूलों की तरफ से इसके लिए पोर्टल को फिर से खोलने की मांग की थी। माशिम ने इसे लेकर आपदा में अवसर ढूंढ निकाला। माशिम की तरफ से पहले डीईओ को निर्देश जारी कर स्कूलों से बच्चों की जानकारी मंगायी गयी।
माशिम के फरमान से मची खलबली
जानकारी लेने के बाद माशिम ने सूची जारी करते हुए निर्देश जारी किया है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल के वेब पोर्टल में बच्चों की एंट्री होनी जरूरी है। साथ ही ये भी बताया है कि 31 अगस्त तक बच्चों की पोर्टल में इंट्री जरूरी है। अगर पोर्टल को दोबारा खोला जाना है तो, इसके लिए लेट फीस देनी होगी। माशिम के आदेश के मुताबिक डीईओ की तरफ से भेजी गयी सूची 25 सितंबर के बाद लेट फीस विद्यालय के प्रमुखों को भरना होगा। ये फीस प्रतिदिन के हिसाब से 1000 रुपये है।
25000 तक का लेट फीस
इस आदेश से साफ है कि अगर छात्रों को अपनी एंट्री करानी होगी, तो 25000 रुपये शिक्षा मंडल को जमान करना होगा। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ये लेट फीस कहां से माशिम को दिया जायेगा। क्या ये फीस बच्चों से वसूली जायेगी या फिर विद्यालय प्रमुख देंगे। विद्यालय प्रमुख को अगर देना है, तो फिर क्या वो अपनी जेब से देंगे या फिर विद्यालय के मद से माशिम को जमा करेंगे। इन तमाम सवालों को लेकर शिक्षा विभाग में ऊहापोह की स्थिति है।
संजय शर्मा ने जताया तीखा विरोध
इधर टीचर्स एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संजय शर्मा ने माशिम के इस निर्देश पर तीखी नाराजगी जतायी है। उन्होंने सवाल उठाया है कि माशिम को ऐसे आदेश जारी करने से पहले व्यवहारिक जानकारी जरूर ले लेनी चाहिये। उन्होने कहा कि विद्यालय की तरफ से पोर्टल में एंट्री का नियम अलग है। अगर पूर्व में किसी स्कूल में बच्चों की आईडी जेनरेट है, तो जब तक वो स्कूल उस इंट्री को क्लोज नहीं करेगा, तब तक नयी जगह पर उसकी इंट्री नहीं हो सकती।
दूसरी बात ये है कि शिक्षकों को इंट्री के संदर्भ में पहले से ये बतलाया नहीं गया, कि पोर्टल में इंट्री के नाम पर इतने बड़े पैमाने पर लेट फीस लिया जायेगा। उन्होंने पोर्टल को तीन दिन के लिए ओपन करने की मांग की है। संजय शर्मा ने कहा का छात्र का आईडी नंबर इंपोर्ट नहीं होने से समय लग जाता है। समय सीमा समझ में आता है, लेकिन 25000 रुपये की राशि की वसूली 1247 स्कूलों से अव्यवहारिक है। क्योंकि इतनी बडी़ राशि देने में स्कूल सक्षम नहीं है।