सनातन परंपरा में पितृपक्ष का विशेष महत्व है। यह कालखंड पूर्वजों को याद करने, उनका तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पूर्वजों की प्रसन्नता से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है, वहीं उनकी नाराजगी से घर-परिवार में बाधाएं, आर्थिक संकट और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां उत्पन्न होती हैं।
पितृपक्ष कब तक रहेगा
इस वर्ष पितृपक्ष 07 सितंबर से 21 सितंबर 2025 तक रहेगा। मान्यता है कि इस अवधि में किए गए कर्म, तर्पण और दान सीधा पितरों तक पहुंचता है। यदि घर में बार-बार बीमारी, आर्थिक तंगी, संतान संबंधी समस्या या अचानक काम बिगड़ने जैसी स्थिति आती है, तो यह पितरों की अप्रसन्नता का संकेत माना जाता है। ऐसे में पितृपक्ष के दौरान किए गए कुछ उपाय जीवन की रुकावटों को दूर कर सकते हैं।

