होम स्टे नीति, ग्रामीणों और पर्यटकों को होगा फायदा, जाने कैसे
सरगुजा:- पर्यटन और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सरकार ने होम स्टे नीति बनाई है. विदेशों के तर्ज पर ये होम स्टे अब छत्तीसगढ़ में भी होंगे. देश के कुछ राज्यों में पहले से होम स्टे कल्चर चल रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ये पहली बार है. इस पर पर्यटन विभाग काम शुरू कर चुका है, जल्द ही छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा में होम स्टे कल्चर देखने को मिलेगा.
रियल सरगुजिहा फीलिंग: सैलानियों को अब सरगुजा में रियल सरगुजिहा फीलिंग मिल सकेगी. जिस जंगल, पहाड़, गांव, घर खेत खलिहान, आदिवासी संकृति को देखने सैलानी यहां आते हैं. अब वो इन सबमें समाहित होकर उसका आनंद ले सकेंगे, क्योंकि सरकार की इस नीति के बाद सैलानियों को शहर के महंगे एसी वाले होटल में नहीं ठहरना पड़ेगा.
पर्यटकों को मिलेगा होम स्टे का फायदा:
होम स्टे के तहत पर्यटक गांव में ही ग्रामीणों के घर में रह सकेंगे. उनका खाना, उनकी चारपाई, खेत खलिहान, कुएं का पानी सहित तमाम लोकल कल्चर का आनंद उठा सकेंगे. सरकार होम स्टे को प्रमोट करने के लिए नीति बना चुकी है. इसे चरण बद्ध तरीके से लागू किया जाएगा. सरकार होम स्टे के लिए प्रोत्साहन राशि और लोन लेने पर ब्याज में भी छूट की योजना बना चुकी है.
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा:
सरगुजा के पर्यटक स्थलों और लोक संकृति पर शोध करने वाले अजय कुमार चतुर्वेदी कहते हैं कि होम स्टे से प्रदेश के दो संभाग बस्तर और सरगुजा के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. सरगुजा का पर्यटन, धार्मिक, साहित्यिक सभी दृष्टि से समृद्ध है. यहां रामगढ़ है, डीपाडीह है, मैनपाट, सोमरसोत, तमोर पिंगला अभयारण्य, ओडगी में कूदरगढ़, गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के कई इलाके हैं.
लोक संस्कृति, आदिवासियों के नृत्य गीत सबको करीब से देखने का अवसर पर्यटकों को मिलेगा. इससे निश्चित ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा-अजय कुमार चतुर्वेदी
बस्तर में होम स्टे कल्चर:
वहीं ईटीवी भारत के सवाल पर जिले के प्रभारी मंत्री ओपी चौधरी ने होम स्टे के सम्बन्ध में पूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बस्तर के कुछ गांव में होम स्टे कल्चर विकसित हो चुका है. इसे देखते हुए सरकार ने होम स्टे नीति बनाई है. पर्यटक हमारे घर के एक कमरे में हमारे साथ रहेगा, जो हम खायेंगे वही खायेगा. हमारे खेत बाड़ी घूमेगा. विदेशों में ये कल्चर कई जगह है.
मैं परिवार के साथ विदेश गया था तो मैंने भी वहां होम स्टे लिया था. बस्तर और सरगुजा के लिए ये विशेष है. इसको अभी पहले चरण में कुछ स्थानों को चिन्हांकित करके शुरू किया जाएगा. अभी ये पूरे प्रदेश में नहीं होगा: ओपी चौधरी, मंत्री, छग शासन
सरकार करेगी मदद:
मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि पर्यटन विभाग ने चिन्हांकन का काम शुरू कर दिया है. हम एक कमरे पर एक लाख रुपये प्रोत्साहन देंगे. पहले वर्ष 50 हजार, फिर अगले वर्ष 30 हजार और तीसरे वर्ष 20 हजार दिया जाएगा. आप चाहें तो लोन भी ले सकते हैं. उसमें सरकार इंटरेस्ट सब्सिडी देगी. एक व्यक्ति 6 कमरे तक बना सकता है.
पर्यटकों और ग्रामीणों को होगा फायदा:
बहरहाल सरकार की नीति का फायदा सीधे तौर पर पर्यटकों और स्थनीय ग्रामीणों को होगा. गांव के कच्चे के मकान का कमरा किराये पर देकर ग्रामीण पैसा कमा सकेंगे. ना सिर्फ कमरा बल्कि खाना व अन्य सुविधाओं का भी चार्ज वो सैलानियों से कर सकेंगे. सैलानियों के लिए भी ये सुनहरा अवसर होगा, क्योंकि जिस संस्कृति को वो दूर से देखने और फोटो क्लिक करने आते थे, अब वो उसी संस्कृति में रह सकेंगे.
सैलानियों का खर्च बचेगा:
पर्यटक सरगुजा का लोकल जीराफूल, लाकरा की चटनी, पूटू, जंगली साग, कुएं का पानी, चारपाई में पैरावट का बिस्तर जैसे अनुभव को जी सकेंगे. इससे सैलानियों के बजट में भी कमी आयेगी क्योंकि सरगुजा घूमने के लिए वो पहले अंबिकापुर आकर किसी महंगे होटल में ठहरते हैं और फिर यहां से कैब बुक करके घूमने जाते हैं. शाम को वापस आते हैं और अगले दिन फिर निकलते हैं. इस तरह सैलानियों का ट्रेवलिंग और स्टे का खर्च काफी अधिक हो जाता है, लेकिन होम स्टे में वो उसी गांव में रुक सकेंगे, जहां उनको घूमना है.

