नई दिल्ली :- शहरों में घरों का कामकाज अब बिना मेड, ड्राइवर या कुक के मुश्किल हो गया है. लेकिन कर्नाटक सरकार के नए कदम से यह सुविधा अब और महंगी हो सकती है. सरकार घरेलू कामगारों (डोमेस्टिक वर्कर्स) के लिए डोमेस्टिक वर्कर्स बिल लाने की तैयारी में है. इस बिल के तहत अब मेड, ड्राइवर, नैनी, कुक या किसी भी घरेलू कामगार को रखने वालों को 5% तक वेलफेयर फीस देनी पड़ सकती है. साथ ही, हर घरेलू कामगार और नियोक्ता को सरकार के डिजिटल पोर्टल पर रजिस्टर करना अनिवार्य होगा.
क्या है बिल का मकसद
शहरों में घरेलू कामगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन यह सेक्टर अब तक असंगठित रहा है. अक्सर कामगारों को कम या अनियमित वेतन, सामाजिक सुरक्षा की कमी और शोषण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कर्नाटक सरकार का कहना है कि इस बिल का मकसद इन कामगारों को सोशल सिक्योरिटी, न्यूनतम वेतन और वेलफेयर स्कीम्स का लाभ दिलाना है.
कैसे होगा रजिस्ट्रेशन और फीस जमा
ड्राफ्ट बिल के मुताबिक-
हर घरेलू कामगार, नियोक्ता, एजेंसी और ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म को अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा.
नियोक्ता या एजेंसी को कामगार की तनख्वाह का 5% तक वेलफेयर फीस सरकार द्वारा बनाए गए फंड में जमा करना होगा.
यह राशि डिजिटल ट्रांजैक्शन के जरिए हर तिमाही या छह महीने में जमा करनी होगी.
अगर जमा की गई राशि और अपलोड किए गए स्टेटमेंट में फर्क पाया गया तो नियोक्ता पर जुर्माना लगाया जाएगा.
घरेलू कामगारों को क्या मिलेगा
इस फंड से बनेगी कर्नाटक स्टेट डोमेस्टिक वर्कर्स सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर बोर्ड, जो वेलफेयर स्कीम्स चलाएगा और शिकायतों का समाधान करेगा.
कामगारों को मिलेगा:
कार्यस्थल पर चोट लगने पर मुआवजा
मेडिकल खर्च की भरपाई
पेंशन और शिक्षा सहायता
मातृत्व लाभ, साप्ताहिक अवकाश और वार्षिक छुट्टी
ट्रेनिंग प्रोग्राम और स्किल डेवलपमेंट
अंतिम संस्कार सहायता
नियोक्ताओं के लिए क्या होगा नियम?
ड्राफ्ट बिल कहता है कि घरेलू कामगार को बिना लिखित एग्रीमेंट के रखना गैरकानूनी होगा. इस एग्रीमेंट में वेतन, कार्य के घंटे, छुट्टियां और वेलफेयर फीस जैसी शर्तें साफ तौर पर लिखी जाएंगी.
सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की राय
कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा कि हम घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देना चाहते हैं. यह सेक्टर असंगठित है और खासकर महिलाओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रूथ मनोरमा ने कहा कि सालों की मांग के बाद यह बिल लाया जा रहा है. यह स्वागत योग्य है, लेकिन इसमें कुछ संशोधन की जरूरत होगी.

