ज्योतिष शास्त्र और पुराणों में पितृ दोष को जीवन पर गहरा असर डालने वाला सबसे गंभीर दोष माना गया है. ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल वर्मा के अनुसार, पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट रहती है या उनके अधूरे कर्मों का असर संतान पर पड़ता है. पंडित वर्मा कहते हैं कि पितृ दोष काल से भी अधिक खतरनाक है क्योंकि यह परिवार की खुशियों, मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि को प्रभावित करता है.
पितृ दोष के लक्षण
पंडित वर्मा बताते हैं कि पितृ दोष वाले परिवार में अक्सर पारिवारिक कलह, आपसी विवाद, आर्थिक संकट और अचानक धन हानि देखने को मिलती है. इसके अलावा संतान सुख में कमी, कार्यों में असफलता और लंबे समय तक सफलता न मिलने जैसी समस्याएं भी आम हैं. “ऐसे परिवार धीरे-धीरे उदासी और तनाव में डूब जाते हैं, जबकि पहले हंसता-खेलता माहौल हुआ करता था,” पंडित वर्मा कहते हैं.
पितृ पक्ष 2025: मुक्ति का सबसे उपयुक्त समय
ज्योतिषाचार्य पंडित वर्मा के अनुसार, पितृ दोष शांति के लिए पितृ पक्ष का समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा श्राद्ध के साथ शुरू होगा और 21 सितंबर 2025 को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होगा. पंडित वर्मा बताते हैं कि इस अवधि में किए गए तर्पण, पिंडदान और मंत्र जाप से पितृ दोष शांत होता है और परिवार में सुख-शांति लौटती है.
पितृ दोष शांति के उपाय
पंडित वर्मा के अनुसार पितृ पक्ष में किए जाने वाले मुख्य उपाय इस प्रकार हैं.
षोडश पिंड दान – पवित्र नदी के तट पर पितरों को अर्पित करना.
सर्प पूजा – कई बार पितृ दोष कालसर्प दोष से जुड़ा होता है.
दान – ब्राह्मण को गौ दान, अन्न दान और वस्त्र दान करना.
वृक्षारोपण – पीपल या बरगद का वृक्ष लगाना.
तर्पण – जल में जौ, काले तिल और पुष्प डालकर पितरों को अर्पित करना.
जप और दीपक – प्रतिदिन “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय” का जाप.
पितृ दोष शांति के मंत्र
ॐ श्री पितृभ्यो नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय पितृभ्यः स्वधा नमः
ॐ पितृदेवताभ्यो नमः
पंडित वर्मा का कहना है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ इन उपायों और मंत्रों का पालन करने से न केवल पितृ दोष शांत होता है बल्कि परिवार में खुशहाली, मानसिक शांति और सफलता भी लौटती है.

