जयपुर :- शहर के सुभाष चौक इलाके में शुक्रवार देर रात बड़ा हादसा हो गया. छीले का कुआं स्थित चार मंजिला जर्जर इमारत अचानक भरभराकर गिर गई. इस हादसे में 33 वर्षीय प्रभात और उनकी 6 वर्षीय बेटी पीहू की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि प्रभात की पत्नी सुनीता सहित वासुदेव, सुखना, सोनू, ऋषि गंभीर रूप से घायल हैं जिनका इलाज एसएमएस अस्पताल में चल रहा है. इमारत के मलबे में कुल 7 लोग दब गए थे. इनमें से चार को रात में ही रेस्क्यू कर लिया गया, जबकि तीन लोगों को सुबह बाहर निकाला गया. बीती रात प्रभात और उसकी बेटी पीहू की जिंदगी सोते-सोते ही हमेशा के लिए थम गई. सपनों से भरी नींद अचानक मौत की नींद में बदल गई.
इसी इमारत के एक अन्य हिस्से में रहने वाले रमेश ने बताया कि इस इमारत में 6 फैमिली के करीब 20 लोग रहते थे. और यहां 2 साल से किराए पर रह रहे थे. जबकि मकान मालिक खुद दूसरे घर में रहता है. जयपुर में लगातार हो रही बारिश से रात को ये बिल्डिंग गिर गई. जिसमें दो फैमिली के लोग गिर गए. जबकि नमिता ने बताया कि कल रात जब वो सो रहे थे तो करीब 1:00 से 1:30 बजे के बीच में ये हादसा हुआ. हादसे में मरने वाले प्रभात उनके ताऊजी के लड़के थे. बिल्डिंग जर्जर थी हालांकि उन्होंने कभी मरम्मत के लिए नहीं कहा.
वहीं मौके पर पहुंचे एडिशनल डीसीपी दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने कहा कि कंट्रोल रूम पर करीब रात 1:30 बजे फोन आया था. जिसमें एक मकान गिरने से कुछ लोगों के दबे होने की सूचना थी. मौके पर एसीपी माणक चौक अन्य पुलिस अधिकारी पहुंचे. हादसे में दो लोगों की मौत हुई है जबकि पांच लोगों को रेस्क्यू कर अस्पताल पहुंचाया गया. उन्होंने बताया कि यहां वॉल सिटी एरिया में तंग गलियां है, और यहां एक एंट्री अगर बंद हो तो दूसरी एंट्री से आने में काफी परेशानी होती है. यहां जो मंदिर का रास्ता है वहां से लोगों को रेस्क्यू किया गया था. उन्होंने बताया कि जिस वक्त जयपुर में तीज की यात्रा निकाली गई थी, उस वक्त पुलिस प्रशासन की ओर से जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन को जर्जर इमारत को लेकर लिखा गया था और स्थानीय थाना पुलिस से जर्जर इमारत की रिपोर्ट भी ली जाएगी.
वहीं मौके पर पहुंचे स्थानीय विधायक अमीन कागजी ने बताया कि इस भवन में जो अन्य लोग रह रहे थे, उन्हें यहां से पार्षद कार्यालय में शिफ्ट किया गया है. स्थानीय लोग भी देर रात से प्रशासन की मदद में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि करीब ढाई महीने पहले निगम कमिश्नर को जयपुर में जर्जर इमारत को लेकर हर वर्ष होने वाले हादसों का हवाला देते हुए इन पर कार्रवाई करने के लिए लिखा था. निगम के अधिकारियों को बुलाकर इमारतों को चिह्नित भी किया गया था.