दुर्ग। दुर्ग जिला अस्पताल में हुए बच्चे के अदला-बदली के मामले में डीएनए टेस्ट से गुत्थी सुलझ गई और परिजनों को उनके वास्तविक बच्चे सौंप दिए गए। शनिवार को साधना और शबाना, दोनों मांओं को उनके सही बच्चे सशक्त अधिकारियों के सामने सौंपे गए, जिससे दोनों परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई।
यह पूरा मामला 23 जनवरी को दुर्ग के जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में स्टाफ की लापरवाही के कारण दो नवजात बच्चों की अदला-बदली से जुड़ा था। 31 जनवरी को यह मामला सामने आया, जिसके बाद 6 फरवरी को डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए थे। डीएनए रिपोर्ट के आने पर शनिवार को बंद लिफाफा खोला गया, जिसमें बच्चा बदलने की पुष्टि हुई और दोनों परिवारों को उनके वास्तविक बच्चों को सौंप दिया गया।
लापरवाही के कारण हुआ था बच्चा अदला-बदली
इस मामले में, शबाना और साधना ने बताया कि अब उन्हें अपना असली बच्चा मिल गया है और इस खुशी के बीच अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर किया है। शबाना के पास जो बच्चा था, उसे अब साधना को सौंप दिया गया, और साधना का बच्चा शबाना को दिया गया। शबाना के जेठ मोहम्मद अशरफ कुरैशी ने कहा, “जो बच्चा हमारे पास था, वह अब हमें मिल गया है, और जो बच्चा उनका था, वह हम उन्हें दे दिए। हम कलेक्टर और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हैं। हम चाहते हैं कि किसी और के साथ ऐसा धोखा न हो।”
साधना के पति शैलेंद्र सिंह ने कहा, “जब डिलीवरी हुई थी, तो वही बच्चा हमारे पास था। दस दिन तक हमे इसका पता नहीं चला, लेकिन फिर यह लापरवाही अस्पताल की तरफ से सामने आई।”
परिजनों ने खुशी जाहिर की
साधना और शबाना के परिवारों ने डीएनए टेस्ट के जरिए सही बच्चा मिलने पर खुशी जताई। रानी सिंह, बच्चे की परिजन ने कहा, “मेरा बच्चा अब मेरे पास है, हम बहुत खुश हैं। यह लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
जिला प्रशासन ने बनाई जांच समिति
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने जांच समिति बनाई है, जो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। एम भार्गव, नोडल अधिकारी ने बताया कि लापरवाही के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सिविल सर्जन हेमंत साहू ने कहा, “डीएनए टेस्ट के जरिए बच्चों के जैविक माता-पिता की पहचान हो गई है, और अब दोनों परिवारों को उनके नवजात शिशुओं को सौंपा गया है।” अब यह देखना होगा कि जांच समिति की रिपोर्ट कब सामने आती है और दोषियों के खिलाफ कब कार्रवाई की जाती है।