कोरबा:- जिले में गुरुवार को गले में चना अटकने से 2 साल के बच्चे की जान जाने की सूचना मिली. इस मामले में परिजनों ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है. जबकि डॉक्टर ने जटिल केस होने से मौत होना बताया है. डॉक्टर ने यह भी है कि इलाज से जुड़े सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है.
गुपचुप बेचते हैं पिता: घटना सिविल लाइन थाना क्षेत्र की है. छोटू कुमार (37 साल) मध्य प्रदेश के राजगढ़ ब्यावरा का निवासी है. वह कोरबा में पानी पुरी बेचने का काम करता है. उसका भाई भी यही काम करता है. 23 जुलाई की सुबह उसका पुत्र दिव्यांश कुमार घर के आंगन में खेल रहा था. खेलते-खेलते वह कमरे में आ गया और वहां रखे चने को निगल गया.
तबीयत बिगड़ी तो पहुंचे अस्पताल: चना निगलने के बाद बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने लगी. जिसके बाद उसके चाचा गोलू बंसल (27 साल) उसे फौरन मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए. शाम के 7 बजे बच्चे को मृत घोषित कर दिया गया. बच्चे के चाचा गोलू ने आरोप है कि जब भी वे डॉक्टर से बच्चे की स्थिति के बारे में पूछते, तो उन्हें कहा जाता था कि बड़े डॉक्टर आकर देखेंगे.
तबीयत स्थिर होने का कर रहे थे इंतजार: इस मामले में मेंडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ धरमवीर सिंह ने बताया कि ने बताया कि जब बच्चा अस्पताल पहुंचा, तभी से उसकी हालत गंभीर थी. डॉक्टरों की टीम ने तुरंत इलाज शुरू किया. ईएनटी विभाग से भी मदद ली गई, बेहोशी की हालत में दिमाग को ऑक्सीजन नहीं पहुंचा था. इसलिए उसे झटके आने लगे. बाद में किडनी में भी दिक्कत आई.
हम बच्चे के स्थिर होने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन इसी बीच उसकी मौत हो गई. केस काफी जटिल था. जिसकी वजह से हम बच्चे को बचा नहीं पाए. लापरवाही वाली कहीं कोई बात नहीं है.- धरमवीर सिंह, डॉक्टर
एक तरफ परिजन इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं. वहीं डॉक्टर्स का कहना है कि, परिजन दुख में है. इसलिए ऐसा कह रहे. लेकिन गले में चना अटकने से 2 साल के मासूम की मौत चौंकाने वाली है.
