रायपुर:- रायपुर में पुलिस ने अपराधियों की धरपकड़ के लिए देश के सबसे आधुनिक तकनीकी सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। अब पुलिस के पास 3,000 से ज्यादा अपराधियों की हाईटेक ’क्राइम कुंडली’ तैयार है, जिसमें उनके नाम, फोटो, आपराधिक इतिहास के साथ फिंगर प्रिंट तक दर्ज हैं।
यानी किसी भी वारदात के बाद घटनास्थल पर मिले फिंगर प्रिंट को जैसे ही इस सिस्टम में अपलोड किया जाता है, कंप्यूटर तुरंत उस बदमाश की पहचान कर लेता है। इस डिजिटल डाटाबेस से पुलिस ने अब तक नागपुर, छिंदवाड़ा और गोवा से कई चोरों को गिरफ्तार किया है। यह पूरा सिस्टम नेशनल आटोमेटिक फिंगर आइडेंटिटी सिस्टम (नेफिस) से जुड़ा हुआ है, जिसमें देश के 18 राज्यों के अपराधियों का रिकार्ड एक ही नेटवर्क पर अपलोड है।
कैसे बन रही ’क्राइम कुंडली
रायपुर क्राइम ब्रांच ने 2015 से अपराधियों की फाइलें तैयार करना शुरू किया था, लेकिन तब केवल फोटो और नाम-पता ही दर्ज किए जाते थे। 2022 में नेफिस सिस्टम के आने के बाद हर अपराधी का फिंगर प्रिंट डिजिटल रूप में दर्ज किया जाने लगा।
अब प्रक्रिया इस प्रकार है
जेल भेजे जा रहे हर अपराधी के फिंगर प्रिंट अनिवार्य रूप से लिए जा रहे हैं।
पुराने निगरानी बदमाशों को थाने बुलाकर उनके फिंगर प्रिंट लिए जा रहे हैं।
रिहा हुए पुराने अपराधियों की बायोमेट्रिक जानकारी भी रिकार्ड में जोड़ी जा रही है।
घटनास्थल पर मिले फिंगर प्रिंट सीधे नेफिस नेटवर्क में अपलोड किए जाते हैं

