रायगढ़ : छत्तीसगढ़ में अभी भी कुछ ऐसे राज छिपे जो बाहर नहीं आए है। कोई उसके असल रहस्य को नहीं सुलझा सका है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में एक स्थान ऐसा है , जिसका ऐतिहासिक महत्त्व होते हुए भी उसके रहस्यों पर आजतक कोई प्रकाश नहीं डाल सका है। हम आज आपको रायगढ़ के सिंघनपुर की गुफाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, यह स्थान रहस्यों से भरा हुआ है। बस्तर में आपने बहुत से कला संस्कृति के साथ प्रकृति सौंदर्य को देखा होगा और कई राज राजवाड़ो के समय की बहुत से ऐतिहासिक धरोहरों की किस्से कहानी भी सुनी होगी, पर आज हम आप को एक ऐसे राजा और उसकी पत्नी की कहानी बताएंगे, जो आज तक आप ने ना कहीं नहीं सुनी होगी।
जिला मुख्यालय उत्तर बस्तर कांकेर से 80 किमी दूर दुर्गूकोंदल ब्लाक के ग्राम लोहत्तर की जहां सोनादाई पहाड़ी की मान्यता है कि आज से लगभग 500 साल पहले एक बकरी चरवाहे ने अपनी बकरी के साथ सोनादाई पहाड़ में बकरी चराने गया था जहां चरवाहे को एक चमकता हुआ पेड़ मिला था, जिसमें से फूल तोड़ कर चरवाहे ने अपनी बकरी को पहना दिया था जिसे कंडरा राजा धर्मराज ने देखने के बाद चरवाहे से इस फूल की जानकारी ली, इसके बाद जब राजा ने पहाड़ी की चोटी में अदभुत चमकदार पेड़ को देखा कर हैरान रह गया, क्योंकि यह पेड़ सोना का था।
कंडरा राजा ने इसके बाद इस पेड़ को उखाड़ कर अपने घर ले जाने के लिए लोगों से खोदाई कराई। कहा जाता है कि खोदाई के दौरान ओडिशा से दो लाख मजदूर लाया गया था और सोने के पेड़ को निकालने के लिए लगभग नौ लाख मजदूरों ने कार्य किया है। ऐसे कहा जाता है कि कंडरा राजा इस पेड़ की जड़ को छोटा सा भी टूटने नहीं देना चाहते थे, इसलिए पहाड़ के बहुत गहराई तक खुदाई करा था। वहीं, सोने के पेड़ को जब-जब इसकी जड़ की अंत तक पहुंचे की कोशिश करते थे तब यह सोने की पेड़ मीन की अंदर धसती जाती थी। एक समय ऐसा भी आया कि पूरे मजदूर जमीन के अंदर धंस गए। इसके बाद से राजा सोने की पेड़ को घर लाने कि लालसा छोड़ दी ।
छत्तीसगढ़ की इस नदी में बहता है सोना
सौनदई की नदी एक सोन नदी है। जहां आसपास के लोग नदी के रेत को छानकर उसमें से सोना निकालते है। हालांकि ये सोना बहुत ही कम मात्रा में प्राप्त होता है, यह बस छोटे छोटे कणों में मिलता है। पूरे दिन की मेहनत कर के कुछ ही सोना इक्कठा कर पाते है। ग्रामीणों की अनुसार, सोनदई के पहाड़ों एक रहस्य है, नदी में बह रहा सोना, गुफाओं में रखे खजाने में से आ रहा है। लेकिन इस बात की पुष्टि कभी हो ही नहीं पाई है।