रायपुर : रायपुर-विशाखापट्टनम इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत भूमि अधिग्रहण में हुए मुआवजा घोटाले ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल मचा दी है। इस मामले में तहसीलदार शशिकांत कुरें को निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि मुआवजा वितरण के दौरान दस्तावेजों में हेरफेर कर करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की गई। यह मामला विधानसभा में भी गूंजा, जहां विपक्ष ने सरकार पर घोटाले को लेकर सवाल खड़े किए।
जांच में पाया गया कि अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांवों में राजस्व अधिकारियों ने भू-माफिया से मिलीभगत कर जमीन को छोटे टुकड़ों में बांटकर 159 नए खसरे बना दिए। इसमें 80 नए नाम जोड़े गए, जिससे मुआवजा राशि 29.5 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ रुपये हो गई। कुल मिलाकर, 43 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है।
जांच और कार्रवाई-
8 अगस्त 2022 को कृष्ण कुमार साहू और हेमंत देवांगन ने राज्य सरकार से शिकायत की थी कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इसके बाद रायपुर कलेक्टर को जांच के निर्देश दिए गए। जांच रिपोर्ट जुलाई 2024 में सरकार को सौंपी गई, जिसमें घोटाले की पुष्टि हुई। तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू के बाद अब तहसीलदार शशिकांत कुरें को भी निलंबित कर दिया गया है।
विधानसभा में मचा हंगामा-
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने मुआवजा घोटाले पर सवाल उठाया और इस पर देरी से जवाब मिलने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि उन्हें उत्तर मात्र आधे घंटे पहले मिला, जिसे इतनी जल्दी पढ़ना संभव नहीं। पूर्व मंत्री व भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने भी इस पर आपत्ति जताई। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस देरी को गंभीर बताते हुए निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसे प्रश्नों के उत्तर सर्वाेच्च प्राथमिकता पर दिए जाएं। अब यह मुद्दा अगले हफ्ते फिर से उठाया जाएगा।
भारतमाला परियोजना का रायपुर सेक्शन-
मुंबई-कोलकाता इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत दुर्ग-रायपुर बायपास बनाया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इस सड़क की कुल लंबाई 92.23 किमी होगी, जिसमें रायपुर जिले में 48.73 किमी का हिस्सा शामिल है। अभनपुर और आरंग के 19 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है।