रायपुर:- सड़क सुरक्षा को लेकर रायपुर पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने खुद से पहल करते हुए 01 सितंबर से “नो हेलमेट, नो पेट्रोल” अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। इसके लिए एसोसिएशन ने बाकायदा उप मुख्यमंत्री अरुण साव और कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह को ज्ञापन भी सौंपा था। लेकिन अभियान का पहला ही दिन ज़मीनी हकीकत में बुरी तरह फेल होता दिखा।
संकल्प था सख्ती का
पेट्रोल पंप एसोसिएशन कहा था कि अभियान की शुरुआत 01 सितंबर से होगी और यह सामाजिक हित में उठाया गया कदम है। एसोसिएशन का दावा था कि सड़क हादसों में बढ़ती मौतों के पीछे हेलमेट न पहनना एक बड़ी वजह है, और यह अभियान आम जनता को सुरक्षा के प्रति जागरूक करेगा। लेकिन हकीकत में ना तो कोई बोर्ड दिखा, ना चेतावनी और ना ही कोई सख्ती। पंप कर्मी पुराने ढर्रे पर ही पेट्रोल दे रहे थे। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब खुद पहल लेकर ज्ञापन सौंपा गया और तारीख तय की गई, तो पहले ही दिन पेट्रोल पंपों पर कोई अमल क्यों नहीं हुआ?
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यह अभियान स्वयंसेवी था और प्रशासनिक समर्थन के साथ शुरू किया जाना था, लेकिन पहले ही दिन पंपों पर प्रशासनिक निगरानी का भी कोई अता-पता नहीं था। ना कोई मुआयना टीम, ना निर्देशों की जांच। सवाल उठता है कि जब अभियान की घोषणा सार्वजनिक रूप से हुई थी, तो इसकी निगरानी कौन कर रहा था?

