धमतरी:- छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले से लगा खारुन नदी पर बना पुल रेत माफियाओं के चलते कभी भी परेशानियों का सबब बन सकता है. जिस तरीके से कुरूद के मेघा में महानदी पर बना पुल टूट गया था उसी तर्ज पर कहीं यहां भी हादसा ना हो जाए.
खतरे में खारुन नदी पर बना पुल: सरकार ने 15 अक्टूबर तक रेत खनन बैन कर दिया है. बावजूद इसके धमतरी में अवैध रेत खनन लगातार जारी है. रेत माफिया नदियों का सीना चीर कर रेत निकाल रहे हैं. खारुन नदी पर बने पुल की भी यही स्थिति है. रेत माफियाओं ने पुल के नीचे से रेत की निकासी इतनी कर ली है कि नींव पर डाला गया बेस मटेरियल पानी के बहाव से हटने लगा है. पानी कटाव के लिए बनाया गया लेंटर भी टूट गया है. अगर इस ओर जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया तो पुल पर दरारें आएंगी और कोई बड़ा हादसा होने से कोई नहीं रोक सकता.
अवैध रेत खनन से पुल को खतरा: धमतरी जिले के भखारा अंतर्गत सेमरा बी गांव में ग्रामीणों और राहगीरों की सुविधाओं के लिए साल 2019 में खारुन नदी पर पुल बनाया गया. इस पुल की लंबाई 250 मीटर है और करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से यह पुल प्रशासन की ओर से बनवाया गया था. यह पुल धमतरी को पाटन जोड़ता है. पहले आसपास के राहगीरों को लंबी दूरी तय करके आना जाना पड़ता था. लेकिन पुल बन जाने से ग्रामीणों को सुविधाएं मिलने लगी.
यहां रेत ले जा रहे ट्रैक्टर चालक नेतराम निषाद से बात की. नेतराम ने बताया कि वह सेमरा घाट से रेत लेकर वह आ रहा है. दिन भर में 5 ट्रिप लेकर रेत जाता है. 30 से 35 गाड़ियां इस समय रेत लेकर जा रही है. जो दिनभर में लगभग 6 से 6 बार रेत लेकर जाती है. यानी एक दिन में लगभग 175 ट्रैक्टर रेत निकाला जाता है. ट्रैक्टर चालक को एक बार में 400 रुपये मिलता है. एक ट्रैक्टर रेत की कीमत 1700 रुपये है.
ग्रामीणों की प्रशासन से मांग: ग्रामीणों ने बताया कि पुल बनने से उन्हें काफी सुविधा मिल रही है. पहले 7 से 8 किलोमीटर घूम कर आना जाना पड़ता था. अब उनका समय और दूरी दोनों बचता हैं. लगातार रेत उत्खनन होने की वजह से पुल को खतरा बनते जा रहा है. इस पर शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि रेत ठेकेदारों को पुल से 100 मीटर दूर से रेत निकालने को कहा गया है. बावजूद इसके वे अपनी मनमानी कर रहे हैं.