रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ऑनलाइन महादेव सट्टा एप घोटाला मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने जा रही है। मामले में राज्य के अलग-अलग जिलों के पुलिस थानों में 70 प्रकरण दर्ज हैं। अधिकारियों के मुताबिक इनकी फाइल सीबीआइ को सौंपने के लिए राज्य सरकार ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही महादेव सट्टा एप घोटाले में फंसे व्यक्तियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मामले में प्रदेश कई बड़े नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों के नाम दर्ज है। मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी), 420, आइपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1998 की धाराओं के तहत दर्ज हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार आने के बाद राज्य की आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लयू) को मामले की जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में शुरू हुई थी जांच
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान अक्टूबर 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महादेव सट्टा एप मामले की जांच शुरू की थी।
पहली बार दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। इन्हीं प्रकरणों के आधार पर ईडी ने मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाया था।
रायपुर में जनवरी 2024 से अब तक 80 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। प्रदेशभर में यह आंकड़ा करीब 600 है।
इसी तरह छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में भी पुलिस ने एफआइआर दर्ज करके कार्रवाई की है। ईडी ने पहली गिरफ्तारी अगस्त 2023 में की थी।
चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने इसे मनी लांड्रिंग से जोड़ा था। अक्टूबर 2023 में ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबियों से पूछताछ करनी शुरू कर दी थी।
इनमें पूर्व सीएम के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, ओएसडी मनीष बंछोर और आशीष वर्मा से पूछताछ हुई थी।
सीबीआई को यह तीसरा मामला
राज्य में पांच साल बाद सीबीआई की एंट्री छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की सीजीपीएससी 2021 की भर्ती की जांच से हुई है। इसके अलावा बिरनपुर हिंसा मामले में भी सीबीआई पहले से ही जांच कर रही है। महादेव एप घोटाले की यह तीसरी सीबीआइ जांच होगी।