रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों के परिजनों के लिए जरूरी खबर है. अगर आपको भी निजी अस्पताल में मौजूद मेडिकल शॉप्स से ही से दवाई खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है तो आप उसके खिलाफ आवाज उठा सकते हैं. रायपुर सीएमएचओ ने नया आदेश जारी किया है. इसके तहत कोई भी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, मेटरनीटि होम या क्लीनिकमरीजों को अपने ही मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं.
क्या कहता है नियम?
सीएमएचओ की ओर से जारी आदेश के मुताबिक प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, मेटरनीटि होम या क्लीनिकमरीजों को अपने ही मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं. उन्हें अब मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन लिस्ट देनी होगी. ऐसा नहीं करने पर राज्य उपचर्यागृह और रोगोंपचार अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.
मरीजों को किया जाता मजबूर
रायपुर के कई हॉस्पिटल में मरीजों को दवाओं के प्रिस्क्रिप्शन न देकर अपनी फार्मेसी से ही दवाएं लेने के लिए मजूबर कर मरीजों के अधिकारों से खिलवाड़ करने और मरीजों को डिस्काउंट प्राप्त न होने संबंधित शिकायत के बाद यह फैसला लिया गया है. रायपुर अपर कलेक्टर एवं प्रभारी अधिकारी, जनशिकायत निवारण प्रकोष्ठ कार्यालय कलेक्टर द्वारा एक मामले में जांच के आदेश दिए गए थे.
रायपुर के खम्हारडीह, शंकर नगर में रहने वाले वासुदेव जीतवानी ने रायपुर के कई हॉस्पिटल में मरीजों को दवाओं के प्रिस्क्रिपशन न देकर अपनी फार्मेसी से ही दवाएं लेने के लिए मजबूर कर मरीजों के अधिकारों से खिलवाड़, मरीजों को डिस्काउंट प्राप्त न होने की शिकायत की थी. इस शिकायत पर उचित जांच के बाद यह आदेश जारी किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर की थी सुनवाई
प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को दवाएं व उपकरण खरीदने को मजबूर करने के खिलाफ दायर जन याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी. इस दौरन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई राज्य सभी नागरिकों को चिकित्सा संबंधी बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने में विफल रहे. राज्य निजी अस्पतालों को नियंत्रित करें, जो मरीजों को अपनी फार्मेसी से ऊंची कीमतों पर दवा खरीदने के लिए मजबूर करते है.