बिलासपुर:- धान खरीदी का सीजन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे किसानों की टेंशन बढ़ती जा रही है। वजह है एग्रीस्टेक पोर्टल की तकनीकी खामियां शासन ने इस बार साफ कहा है कि सिर्फ वही किसान मंडी में धान बेच पाएंगे, जिनका नाम एग्रीस्टेक पोर्टल पर दर्ज होगा, लेकिन हजारों किसान अब तक पंजीकरण नहीं करा पाए है और यही बन गया है किसानों की नींद उड़ाने वाला सबसे बड़ा सिरदर्द।
बिलासपुर जिले में तकरीबन 1 लाख 25 हजार किसान खेती करते हैं। लेकिन इनमें से करीब 6 हजार किसान अब भी सिस्टम से बाहर हैं। यानी पोर्टल में उनका नाम दर्ज नहीं है। और इसका सीधा मतलब है धान नहीं बिकेगा किसानों ने बताया कि पंजीयन कराने वे कई बार चॉइस सेंटर गए.. लेकिन हर बार वही पुरानी कहानी — सर्वर डाउन कभी ओटीपी के लिए 12 घंटे इंतजार, तो कभी दो-दो दिन तक कोई अपडेट नहीं वहीं कुछ-कुछ किसानों ने बताया कि जिनकी दो जगह जमीनें हैं एक जगह का पंजीयन हो रहा है, दूसरे का नहीं! ऐसे में उनके पास जितनी जमीन है, उतना रकबा पोर्टल में दिख ही नहीं रहा।सरकारी दफ्तरों का हाल ये है कि किसान जब समिति में जाता है तो वहां से उसे चॉइस सेंटर भेज दिया जाता है, और जब चॉइस सेंटर जाता है, तो वहां वाले कहते हैं।“सहकारिता विभाग जाओ”!किसानों का कहना है कि अगर एग्रीटेक पोर्टल अपडेट नहीं हुआ तो इस बार मंडियों में धान बेचना नामुमकिन हो जाएगा।अब किसान यही सवाल पूछ रहे हैं।“हम मेहनत करें, फसल उगाएँ और अब बेचने में भी अटक जाएँ?”
इस विषय में जब भू अभिलेख अधीक्षक सोमेश्वर यादव से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि अब सभी तहसीलदार, पटवारी और समिति प्रभारी एक साथ बैठकर पंजीयन का काम तेज़ी से पूरा करेंगे। कलेक्टर ने भी निर्देश जारी कर दिए हैं कि कोई भी किसान धान खरीदी से वंचित न रहे। उन्होनें बताया कि लगभग छह हजार किसानों का पंजीयन अभी बाकी है। 31 अक्टूबर तक सभी का नाम दर्ज करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए विशेष कैंप भी लगाए जा रहे हैं.