मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :- छत्तीसगढ़ में सरकार चाहे नौनिहालों का भविष्य गढ़ने के लिए पानी की तरह पैसा बहाए,लेकिन नौनिहालों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी जिन पर हैं,वो खुद ही बहक चुके हैं. स्कूल में मास्टर साब के शराब पीने के मामले आपने इस साल कई जगहों के देखें होंगे,उन्हीं घटनाओं में अब एक और मामला जुड़ चुका है. ये घटना है एमसीबी जिले के सुदूर वनांचल क्षेत्र भरतपुर विकासखंड के मेहदौली ग्राम पंचायत की.जहां के शासकीय प्राथमिक शाला के शिक्षक नशे में धुत होकर बच्चों को पढ़ाने पहुंचते हैं.
शराबी शिक्षक ने तोड़ी उम्मीदें : मेहदौली गांव में जब प्राथमिक शाला की स्थापना हुई थी तब ग्रामीणों में उम्मीद की लहर दौड़ गई थी. लोगों ने सोचा था कि अब उनके बच्चों को शिक्षा का उजाला मिलेगा.वे भी पढ़-लिखकर जिले और राज्य का नाम रोशन करेंगे. लेकिन ये सपने तब टूटने लगे जब बच्चों को सही रास्ता दिखाने वाले शिक्षक खुद ही रास्तों में डगमगाक गिरने लगे.
आपत्तिजनक हरकतों से अभिभावक परेशान : प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक अधिकतर समय शराब के नशे में रहते हैं. कभी लड़खड़ाते हुए कक्षा में आते हैं, तो कभी छात्रों पर चिल्लाते हैं.कई बार शिक्षक की हरकतें इतनी आपत्तिजनक हो जाती हैं कि बच्चों के साथ ही महिला अभिभावक भी असहज महसूस करती हैं. शिक्षा विभाग की ओर से समय-समय पर मॉनिटरिंग और निरीक्षण की बात तो कही जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है.
प्रशासन ने दिया कार्रवाई का भरोसा : इस पूरे मामले में ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से स्कूल में किसी भी उच्चाधिकारी का औचक निरीक्षण नहीं हुआ है. ऐसे में शराबी शिक्षक की लापरवाहियों को बढ़ावा मिल रहा है. जब इस विषय को लेकर मीडिया ने सवाल उठाया और मामले को जिला शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में लाया गया, तब जाकर अधिकारियों की नींद टूटी. जिला शिक्षा अधिकारी आर पी मिरे ने कहा कि जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.वहीं ग्रामीणों का कहना है कि आखिर क्यों जब तक मामला मीडिया में ना आए तब तक शिक्षा विभाग कार्रवाई नहीं करता.
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलना उसका हक है, लेकिन जब शिक्षक ही नशे में धुत होकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करें, तो इस नियम को मजाक से ज्यादा कुछ नहीं समझा जा सकता. मेहदौली जैसे आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा की लौ जलाना जितना जरूरी है, उससे कहीं अधिक जरूरी है ऐसे शराबी और गैर-जिम्मेदार शिक्षकों पर तत्काल कार्रवाई करना. फिलहाल ग्रामीणों को प्रशासन से उम्मीद है कि शराबी शिक्षक से उन्हें मुक्ति मिलेगी.ताकि बच्चों का भविष्य खराब ना हो.