कोरबा : धान की फसल लगने के बाद किसान इसे मेहनत के साथ अपने पसीने से सींचते हैं. ताकि पैदावार अच्छी हो. छत्तीसगढ़ में फिलहाल धान की फसल शुरुआती अवस्था में है.फसल में अब तक बालियां नहीं फूटी है.लेकिन जिस तरह से मौसम में बदलाव हो रहा है,उसे लेकर किसान परेशान हैं.क्योंकि बदलते मौसम में कीट पतंगों से फसल पर खतरा मंडराने लगता है.
धूप और बारिश ने बढ़ाई परेशानी : धूप और बरसात एक साथ होने से ये फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंग के लिए पनपने का सबसे अनुकूल वातावरण बन जाता है. ऐसे में कोरबा जिले के लगभग 50 हेक्टेयर खेत में तना छेदक का प्रकोप देखा जा रहा है. यह धान की फसल को बढ़ने नहीं देते और बीच में ही उसके विकास को अवरुद्ध कर देते हैं. जिससे किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है. कृषि विभाग भी इस प्रयास में है कि किसानों को जागरूक किया जाए और उन्हें उपाय बताया जाए.
15 से 45 दिन के बीच नजर आता है खतरा : तना छेदक धान रोपे जाने के 15 से 45 दिन के भीतर फसल पर अटैक करता है. इसके लिए इससे बचने के लिए किसानों को दवा छिड़काव की सलाह दी जाती है. जिले के बरपाली और आसपास के गांव में लगभग 50 हेक्टेयर से अधिक खेत तनाछेदक के प्रकोप में हैं, किसान दवा का छिड़काव भी कर रहे हैं. खास तौर पर गर्मी और इसके बाद तुरंत मॉइश्चर तनाछेदक के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण करता है.
तापमान और आर्द्रता के कारण दिक्कत : जब तापमान 25 से 30 डिग्री और आर्द्रता लगभग 70 से 80 फीसदी हो. तब तनाछेदक सर्वाधिक सक्रिय हो जाते हैं. वर्तमान में कुछ इसी तरह के मौसम का निर्माण हो रहा है. मौसम बेहद अनियमित हो चुका है, बरसात के बाद तुरंत धूप और फिर धूप के बाद बरसात की स्थिति लगातार बना रही है. जिला कृषि विभाग के उपसंचालक डीपीएस कंवर का कहना है कि किसानों को दवा छिड़काव करने की सलाह दी जा रही है.
मर जाते हैं पौधे के फूल : तना छेदक जैसे कीट पतंग के प्रभाव में आने के बाद धान के पौधे में फूल आने और दाने भरने की प्रक्रिया से पहले ही पौधे मर जाते हैं. धान के पौधों में पीलापन भी देखा जाता है. इससे बचने के लिए किसान अपने स्तर पर भी उपाय करते हैं और वह कृषि विभाग की सहायता भी ले सकते हैं. कृषि विभाग ने ग्रामीण कृषि विकास विस्तार अधिकारियों से संपर्क करने की एडवाइजरी भी जारी की है.
किस किस्म के धान के लिए हानिकारक : तना छेदक कीड़े का आक्रमण अन्य किस्मों की अपेक्षा बासमती किस्मों में अधिक पाया जाता है. यह कीड़ा जुलाई से अक्टूबर तक हानि पहुंचाता है. गोभ की अवस्था से पहले आक्रमण होने पर पौधों की गोभ सूख जाती है जबकि गोभ में या बालियां निकलने के बाद आक्रमण होने पर पूरी बाली ही सूख जाती है. इन बालियों में दाने नहीं बनते और ऐसे पौधों की बालियां खेत में सीधी खड़ी एवं सफेद नजर आती हैं.
किस तापमान में पनपता है कीड़ा : तापमान 25 डिग्री से 33 डिग्री सैल्सियस और हवा में 45 से 87 फीसदी की नमी होने पर तनाछेदक पनपता है.
क्या होता है तना छेदक ?: तना छेदक कीट एक प्रकार का लार्वा कीट है. जो फसलों के तनों में छेंद करके अंदर घुस जाता है. यह लार्वल कीट कई प्रकार की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है, गन्ना, मक्का, कपास,गेहूं और धान. लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान धान की फसल में होती है.
कैसे करें कीट की पहचान ?: यदि आपके फसल में इस कीट का प्रकोप है तो आप आसानी से इसे पहचान सकते हैं.
तना छेदक सुंडी की रोकथाम : कृषि वैज्ञानिक के अनुसार तना छेदक की रोकथाम के लिए कई तरह के उपाय किए जा सकते हैं.
500 मिली मिथाइल पैराथियान 50 ईसी/मोनोक्रोटोफास 36 एसएल या 1 लीटर क्लोरपाइरीफास 20 ईसी (डरमेट/लीथल/फोरस) के रोपाई से 30, 50 या 70 दिन बाद 2 छिड़काव करें.
7.5 किलोग्राम कारटाप हाइड्रोक्लोराइड (पदान/सेनवैक्स) 4 जी या 7.5 किलोग्राम फिप्रोनिल (रीजेन्ट/मोरटल) 0.3 जी. को 10 किलो सूखी बालू (रेत) में मिलाकर पौधरोपण के 30 और 50 दिन बाद प्रति एकड़ फसल में डालें.
5 किलोग्राम फोराटॉक्स 10 जी प्रति एकड़ रोपाई के 30, 50 एवं 70 दिन बाद 10 किलोग्राम रेत में मिलाकर खड़े पानी में डालने से भी की जा सकती है.

