रायपुर:- छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्थित राज्य स्त्रोत निशक्तजन संस्थान से जुड़ा करीब 1000 करोड़ रुपए का बड़ा घोटाला सामने आया है. यह मामला एक जनहित याचिका के बाद सामने आया, जिसमें दावा किया गया कि यह संस्था असल में कागजों में ही मौजूद थी और इसके जरिए साल 2004 से 2018 तक सरकारी धन की हेराफेरी हुई. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सोमवार को सीबीआई की टीम माना स्थित समाज कल्याण विभाग पहुंची थी.
CBI ने क्यों की कार्रवाई?: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय एजेंसियों की बजाय CBI से जांच करवाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने इसे “संगठित और सुनियोजित अपराध” मानते हुए CBI को 15 दिन के भीतर कार्रवाई शुरू करने को कहा था.
IAS अधिकारियों के नाम: सोमवार को CBI की टीम रायपुर के माना स्थित समाज कल्याण विभाग पहुंची. वहां अधिकारियों से बातचीत कर के महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए, जो इस घोटाले से जुड़े हैं. यह NGO IAS अधिकारियों द्वारा बनाया गया था. इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के 6 IAS अधिकारियों के नाम सामने आए हैं. इसके अलावा कई राज्य सेवा के अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं.
कौन-कौन हैं आरोपियों में शामिल?
विवेक ढांढ (पूर्व मुख्य सचिव)
आलोक शुक्ला
एमके राउत
सुनील कुजूर
बीएल अग्रवाल
पीपी श्रोती
इनके अलावा सतीश पांडे, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलको, एमएल पांडे और पंकज वर्मा का भी नाम है.
कैसे खुला घोटाले का पर्दाफाश?: इस घोटाले का खुलासा एक जनहित याचिका के माध्यम से हुआ, जो रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने 2017 में दाखिल की थी.
याचिकाकर्ता ने बताया कि खुद उन्हें एक सरकारी अस्पताल का कर्मचारी बताया गया, लेकिन RTI के माध्यम से पता चला कि वह अस्पताल एक NGO की ओर से चलाया जाता है, और सरकारी रिकॉर्ड में उसका कोई पक्का अस्तित्व नहीं था.