रायपुर:- सिकलसेल मरीजों को दी जा रही दवाओं की गुणवत्ता पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। प्रदेश के इकलौते सिकलसेल संस्थान में हाइड्रोक्सीयूरिया 500 एमजी के 17,500 से ज्यादा कैप्सूल अमानक पाए गए हैं। ये दवाएं छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससी) के जरिए खरीदी गई थीं और अब वापस मंगाई गई हैं।
बता दें कि शिकायतों के बाद जब जांच हुई तो जेड-704 बैच के 2,700 और जेड-23-705 बैच के 14,800 कैप्सूल घटिया क्वॉलिटी के निकले। ये वही दवा है जो सिकलसेल के साथ-साथ गर्भाशय और डिम्बग्रंथि के कैंसर में भी दी जाती है। यह कैप्सूल शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करता है और रक्त ट्रांफ्यूजन की जरूरत को कम करता है। इस तरह घटिया टेबलेट देना मरीजों की जान से सीधा खिलवाड़ करना है।
झटके के लिए लगने वाले इंजेक्शन पर भी सवाल
सीजीएमएससी ने फेनिटाइन सोडियम इंजेक्शन (बैच नंबर सीबीवाय 2503) को भी गुणवत्ता परीक्षण में अमानक पाए जाने के बाद वापस लेने का आदेश जारी किया है। ये इंजेक्शन मिर्गी और सिर की चोट के बाद लगने वाले झटकों में बेहद अहम माना जाता है।
बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, कुछ महीने पहले आइड्राप, बुखार की टैबलेट, फालिक एसिड टैबलेट्स भी अमानक पाए जाने के बाद वापस मंगाए गए थे। बिना गुणवत्ता जांच के ही मेडिकल सामग्री अस्पतालों तक भेजी जा रही है। यदि स्टाफ चौकन्ना नहीं होता, तो इसके खतरनाक नतीजे सामने आ सकते थे।