नई दिल्ली : देश में इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहीँ बात करें भाजपा की तो पार्टी ने भी अपनी स्ट्रैटजी पर फोकस करना स्टार्ट कर दिया है। दरअसल, भाजपा अध्यक्ष के तौर पर मिले कार्यकाल विस्तार के बाद जेपी नड्डा नए तेवर में दिखाई पड़ेंगे। उनके सामने इस साल होने वाले नौ विधानसभा राज्यों और लोकसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाने की कड़ी चुनौती है।
इसके लिए कुछ राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों और प्रभारियों के कार्यभार में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने अपने राजस्थान दौरे के समय ही स्पष्ट कर दिया था कि पूर्वोत्तर के छोटे चुनावी राज्यों में बदलाव के लिए समय नहीं बचा है, लिहाजा अब उनमें बदलाव करना संभव नहीं है। लेकिन राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के कुछ शीर्ष नेताओं की भूमिका में बदलाव देखने को मिल सकता है।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों ने अपने-अपने राज्यों में पार्टी के कार्यों की जानकारी दी थी। इसमें राजस्थान और तेलंगाना का काम सबसे बेहतर पाया गया था और प्रधानमंत्री ने इन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों सतीश पूनिया और बंडी संजय कुमार की काफी प्रशंसा भी की थी। इसलिए माना जा रहा है कि इन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को भी नड्डा की तरह कार्यकाल में विस्तार मिल सकता है।
भाजपा अध्यक्ष की बड़ी चिंता मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर है। मध्यप्रदेश में लंबे समय से शासन कर रही भाजपा की कमजोरियां पिछले विधानसभा चुनाव में ही उजागर हो गई थीं। पार्टी नेतृत्व के सामने संगठन के आंतरिक तनाव से उबरते हुए जीत हासिल करना है। इस लय को लोकसभा चुनावों तक बरकरार भी रखना है, क्योंकि मध्यप्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सबसे ज्यादा सफलता दिलाने वाले राज्यों में शामिल रहा है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा रमन सिंह के प्रभाव से उबर नहीं पाई है, जबकि राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल का दबदबा आदिवासी-किसान वोटरों पर मजबूत हुआ है। यदि भाजपा की पकड़ विधानसभा चुनावों में कमजोर हुई, तो उसे इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में भी उठाना पड़ सकता है। यही कारण है कि भाजपा छत्तीसगढ़ में अपनी ताकत बढ़ाने के लिए ज्यादा सचेत है। माना जा रहा है कि इन नई चुनौतियों के मद्देनजर इन राज्यों के संगठन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।