रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेज एवं कारपोरेशन यानी दवा निगम अपने काम और कारनामों की वजह से हमेशा चर्चा में रहता है। ऐसा ही कारनामा कारपोरेशन ने कर किया है। दवा निगम ने बिना डिमांड के 660 करोड़ रुपए के केमिकल जिसे रीएजेंट भी कहा जाता है और उपकरण सप्लाई कर दिए।
महालेखाकार ने अपनी जांच में इसे गैर जरूरी बताकर जवाब मांगा है और लिखा है कि इतनी बड़ी राशि से खरीदे गए उपकरणों की सप्लाई राज्य के ऐसे साढ़े तीन सौ हेल्थ सेंटरों में की जिसकी वहां जरूरत नहीं थी और ना ही उसे सुरक्षित रखने के कोई बड़ा इंतजाम था। महालेखाकार द्वारा भेजे गए पत्र के बाद अपर मुख्य सचिव ने हेल्थ डायरेक्टर, एमडी एनएचएम और एमडी सीजीएमएससी को तलब किया है और 2 जुलाई को हाईलेबल मीटिंग बुलाई है।उल्लेखनीय है कि, 2022-23 और 2023-24 में छतीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेस एवं कार्पोरेशन द्वारा उन उपकरणों और रीएजेंट की खरीदी के लिए बड़ी राशि खर्च की थी।
इन सामानों की सप्लाई राज्य के 776 हेल्थ सेंटरों में किया गया था। महालेखाकार के ऑडिट में यह बात सामने आई थी कि चिकित्सकीय उपकरण ऐसे साढ़े तीन सौ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजे गए जहां उनकी जरूरत ही नहीं है, क्योंकि इससे संबंधित जांच करने के लिए वहां स्टाफ तैनात नहीं है। वहां बड़ी मात्रा में ऐसे रीएजेंट भी सप्लाई किए गए हैं जिनके रखरखाव के लिए वहां पर्याप्त इंतजाम भी नहीं है। इसकी वजह से करोड़ों रुपए कीमती इन चिकित्सकीय उपकरणों के बेकार पड़ रहने और खराब होने की आशंका भी जताई गई थी।
हार्ट, लिवर की दवा पीएचसी में
सूत्रों के अनुसार, बड़ी गड़बड़ी को अंजाम देने के लिए राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में हृदय रोग, लिवर, पेंक्रियांज के साथ अन्य तरह की गंभीर और बड़ी बीमारियों से संबंधित दवाओं की सप्लाई कर दी गई। इन बीमारियों के इलाज अथवा जांच की सुविधा पीएचसी में नहीं होती मगर गड़बड़ी को अंजाम देने के लिए इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। सप्लाई के बाद जब प्रदेशभर से शिकायतें हुईं तो मामले की जांच की गई।
बाजार से पांच गुना कीमत पर खरीदी, भुगतान की तैयारी
सूत्रों के अनुसार उपकरण और रीएजेंट जिस कंपनी से खरीदे गए वह छत्तीसगढ़ की है। उसने बाजार दर से पांच से दस गुना कीमत पर सप्लाई किए। बार बार आपत्ति किए जाने के बाद भी आर्डर हुए। आडिट आपत्ति के बाद अब विभाग उच्च स्तरीय बैठक करने जा रहा है। हालांकि कहा जा रहा है कि आपत्ति के बाद भी कंपनी पेमेंट के लिए दबाव बना रही है। लेकिन इस बीच महालेखाकार की आपत्ति के बाद पेंच फंस गया है।
बिना डिमांड कर हुई सप्लाई
इन सामाग्रियों की सप्लाई के पहले विभागीय अधिकारियों द्वारा इस बात की जानकारी भी नहीं ली गई कि ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों में इसकी जरूरत है अथवा नहीं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से डिमांड भी नहीं आई। महालेखाकार ने इस मामले मे अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि प्रकरण में ऑडिट की आवश्यकता है इसके लिए उनके द्वारा विभागीय अधिकारियों को सहयोग के लिए निर्देशित किया जाए। इस मामले में अपर मुख्य सचिव ने हेल्थ डायरेक्टर, एमडी एनएचएम तथा एमडी सीजीएमएससी की दो जुलाई को बैठक बुलाई है। अफसरों को इस मामले में तमाम दस्तावेज के साथ आने निर्देशित किया गया है।