रायपुर: छत्तीसगढ़ में कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं, लेकिन सबसे पुराना और ऐतिहासिक मंदिर सिद्ध पीठ मां महामाया का मंदिर है. यह मंदिर 1400 साल पुराना है. इस मंदिर की खासियत ही इसे बाकी मंदिरों से अलग करती है. यहां हर साल नवरात्र में एक कुंवारी कन्या जिसकी उम्र 10 साल से कम होती है उससे ही नवरात्र का प्रथम जोत प्रज्वलित कराया जाता है.
10 साल की बच्ची जलाती है पहला जोत: यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण तांत्रिक विधि से कराया गया है. हैययवंशी राजाओं की कुलदेवी कहलाती है मां महामाया. ऐसी मान्यता है कि छत्तीसगढ़ में 36 जगह पर राजाओं ने जहां पर अपना महल और राजधानी बनाया उन जगहों पर मां महामाया देवी को प्रतिष्ठित किया है.
हैययवंशी राजाओं की कुलदेवी कहलाती हैं मां महामाया: जिस कुंवारी कन्या के द्वारा प्रथम जोत प्रज्वलित कराया जाता है उसे देवी स्वरूप मानकर उनसे आज्ञा ली जाती है कि आपने प्रथम जोत प्रज्वलित कर दिया है अब दूसरे जोत को प्रज्वलित करने की अनुमति दे. प्रथम जोत किसी माचिस या अग्नि से प्रज्वलित नहीं होती बल्कि इसे दो पत्थरों को आपस में रगड़ कर अग्नि पैदा की जाती है. जिसे चकमक पत्थर कहा जाता है. हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र में इस परंपरा का निर्वहन आदि काल से किया जा रहा है.
मां महामाया मंदिर: सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर के व्यवस्थापक विजय कुमार झा ने बताया कि कुमारी कन्या से सिद्ध पीठ मां महामाया मंदिर में ज्योत प्रज्वलित करवाने किया परंपरा आदिकाल से चली जा रही है. माता भगवती कुंवारी होने के साथ ही ब्रह्मचारिणी है. इसलिए कुंवारी कन्या के रूप में माता का आह्वान करते हुए उस कन्या का पूजन करके उसे देवी का स्वरूप मानकर पहले जोत जलाने के बाद अन्य ज्योत को जलाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है.
क्या है मान्यता: कुंवारी कन्या के द्वारा जलाए गए प्रथम जोत को लेकर मां महामाया के समीप जाकर उनसे विनती और प्रार्थना की जाती है कि आपने स्वयं कुंवारी कन्या के रूप में जोत प्रज्वलित किया है. बाकी ज्योत को प्रज्वलित करने की अनुमति और आशीर्वाद दीजिए कि निर्विघ्न रूप से नवरात्र का पर्व संपन्न हो सके. भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो और सभी कष्ट से मुक्त हो.
हर मनोकामना होती है यहां पूरी: महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि यह इलाका प्राचीन समय से हैययवंशी राजाओं का क्षेत्र रहा है. मां महामाया हैययवंशी राजाओं की कुलदेवी हैं. बताया जाता है कि उन्हीं के द्वारा यह पूरा क्षेत्र विकसित किया गया है. राजाओं ने जिन जगहों पर अपना राजमहल या राजधानी बनाया था उन सभी जगहों पर मां महामाया को प्रतिष्ठित किया गया.