रायपुर :- छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन के लापरवाह करतूतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। नईदुनिया ने अपने 14 अगस्त के अंक में पैरासिटामोल के गुणवत्ताहीन होने का मामला उजागर किया था, जिसके बाद सीजीएमएससी ने एक साथ तीन दवाओं के उपयोग और वितरण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
इनमें पैरासिटामोल 650 एमजी (बैच नंबर आरटी 24045, 9 एम इंडिया लिमिटेड), पैरासिटामोल 500 एमजी (बैच नंबर आरटी 23547 और आटी 240320, 9 एम लिमिटेड) तथा एसिक्लोफिनेक 100 एमजी और पैरासिटामोल 325 एमजी शामिल हैं। यह वही दवाएं हैं, जिनकी आपूर्ति पिछले महीनों में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में की जा चुकी है। दवा में फंगस, मरीजों की जान खतरे में पैरासिटामोल 500 एमजी की 48 हजार गोलियां हाल ही में अस्पतालों से वापस मंगाई गईं। गोलियों पर स्पष्ट धब्बे और फंगस पाए गए।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी दवाएं मरीजों को उल्टी, दस्त, फूड पाइजनिंग और गंभीर स्थिति में जानलेवा साबित हो सकती हैं। प्रदेश के 90 से अधिक अस्पतालों से जब शिकायतें आईं, तब हड़बड़ी में बैच रोकने का आदेश जारी किया गया। महंगी और घटिया खरीद सीजीएमएससी ने पैरासिटामोल की खरीद 47.04 रुपये प्रति 100 टैबलेट की दर से की, जबकि राजस्थान दवा निगम ने यही दवा 29.33 रुपये में खरीदी। यानी प्रति स्ट्रिप 18 रुपये महंगी खरीद कर सीजीएमएससी ने केवल 2024-25 में ही करीब डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान करा दिया।