रायपुर। छत्तीसगढ़ EOW की ओर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने अग्रिम जमानत की याचिका रायपुर के स्पेशल कोर्ट में लगायी है। वही इस मामले में सुनवाई 19 नवंबर को होगी। इससे पहले यह सुनवाई 13 नवंबर को होनी वाली थी। लेकिन किसी कारण से सुनवाई टल गई और इस मामले में मंगलवार को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला मामला में EOW नें रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के अलाव कांग्रेस सरकार में पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ FIR दर्ज की थी। छत्तीसगढ़ के नान (नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में EOW की ओर 4 नवंबर को नई FIR दर्ज की गई है। जिससे घोटाले में दो पूर्व IAS और पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। ईओडब्ल्यू में 2015 में दर्ज नान घोटाले में आरोप है कि तीनों ने प्रभावों का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया है। इसी मामले में 2019 में ईडी ने केस दर्ज किया है।
EOW (राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने ED की ओर से भेजे गए प्रतिवेदन के बाद FIR की है। डॉ. आलोक और अनिल टुटेजा पिछली सरकार में प्रभावशाली माने जाते थे। इन अधिकारियों का 2019 से लगातार सरकार के संचालन नीति निर्धारण और अन्य कार्यों में खासा दखल था। शासन के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थापना और स्थानांतरण में भी उनका हस्तक्षेप होने की चर्चा थी। ईओडब्ल्यू के अनुसार तीनों ने आपराधिक साजिश करते हुए ईओडब्ल्यू में पोस्टेड बड़े अफसरों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेजों और जानकारी में बदलाव करने का प्रयास किया। वहां दर्ज नान के मामले में अपने पक्ष को हाईकोर्ट में पेश करने के लिए खुद जवाब दावा बनवाया, ताकि उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके। इतना ही नहीं।तीनों ने केस से जुड़े गवाहों पर भी दबाव बनाया और बयान बदलवाने की कोशिश की। EOW ने अपनी FIR में बताया कि अनिल टुटेजा और डॉ. आलोक शुक्ला शासन में महत्वपूर्ण पदाधिकारी बन गए थे और यह सरकार के सबसे शक्तिशाली अधिकारी थे। सभी महत्वपूर्ण पदों पर पोस्टिंग और ट्रांसफर में इनका सीधा हस्तक्षेप था। एक तरह से कहा जाए कि छत्तीसगढ़ सरकार की सारी ब्यूरोक्रेसी इनके नियंत्रण में थी, जिसके कारण राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ अधिकारियों पर इनका नियंत्रण था।
EOW ने अपनी FIR में बताया है कि डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से असम्यक लाभ लिया। उनका मकसद था कि सतीशचंद्र वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया जाए, ताकि वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए सरकारी कामकाज में गड़बड़ी कर सकें। इसके बाद, सभी मिलकर एक आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए और राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य था नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ दर्ज एक मामले (अप.क. 09/2015) में अपने पक्ष में जवाब तैयार करना, ताकि हाईकोर्ट में वे अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके। छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, सतीश चंद्र वर्मा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं 7, 7क, 8, और 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए, और 120बी के तहत अपराध दर्ज किए गए हैं। इन धाराओं के तहत तीनों के खिलाफ मामला पंजीकृत कर जांच शुरू की गई है। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से 2 अप्रैल 2024 को ACB-EOW को ईमेंल की जरिए छत्तीसगढ़ नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) में हुए बड़े घोटाले से संबंधित रिपोर्ट और दस्तावेज भेजे गए थे, जिसमें ED ने अपनी जांच के दौरान जब्त डिजिटल डिवाइस से मिली जानकारी और वॉट्सऐप चैट की जानकारी भेजी थी, जिसमें बताया गया था कि हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत लेने के लिए अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला नें अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था।