नई दिल्ली :- भारत में मिडिल क्लास की नौकरियों पर संकट गहराता जा रहा है, जो मंदी के कारण नहीं, बल्कि कई अन्य कारणों से आने वाला है. मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने चेतावनी देते हैं कि अगर नीति निर्माताओं ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं.
उनका कहना है कि नौकरियां मंदी के कारण नहीं, बल्कि कंपनियों के ऑपरेशन, AI और ग्लोबल व्यापार के परिस्थितियों के कारण जाने वाला है. हाल ही में एक पॉडकास्ट में मुखर्जी ने भारत के व्हाइट-कॉलर जॉब मार्केट में चल रहे उथल-पुथल की एक तस्वीर पेश की. उन्होंने कहा कि हम जॉब मार्केट में भारी उथल-पुथल देख रहे हैं. IT, बैंकिंग और मीडिया जैसे मानक मिडिल क्लास नौकरियों की जगह गिग जॉब्स ले लेगा.
भारत को इतने साल तक होगा असर
उनका अनुमान है कि भारत को इसका पूरा असर झेलने में दो से तीन साल लगेंगे. इस दौरान वेतनभोगी नौकरियों का एक बड़ा हिस्सा गायब हो सकता है. तब भारत एक बड़ा गिग इकोनॉमी बन जाएगा.यह सिर्फ राइडशेयर और फ़ूड डिलीवरी तक सीमित नहीं होगा. हमारे सभी रिश्तेदार इस गिग इकॉनमी का हिस्सा होंगे.
लोगों की जगह AI अपना रहीं कंपनियां
उन्होंने आगे कहा कि यह संकट आर्थिक मंदी का नतीजा नहीं है. बल्कि, यह उन कंपनियों की वजह से है जो लागत कम करने और दक्षता बढ़ाने के लिए AI को अपना रही हैं. मुखर्जी ने कहा कि हम देख सकते हैं कि हर कंपनी लोगों की जगह एआई को अपना रही है. चाहे वह हमारे पोर्टफोलियो में शामिल बैंक हों, जिन मीडिया संस्थानों से हम बात करते हैं, या चीन के पोर्टफोलियो में शामिल आईटी सर्विस प्रोवाइडर्स हों. विज्ञपन भी AI बेस्ड हो चुके हैं. यहां तक की एड दिख रही मॉडल भी AI है. यहां तक की विज्ञापन में दिख रहा तोता भी असली नहीं है.
बढ़ता कर्ज इस तनाव को और बढ़ा रहा है
घरेलू कर्ज का बढ़ता बोझ इस तनाव को और बढ़ा रहा है. मुखर्जी के अनुसार, होम लोन को छोड़कर, भारतीय घरेलू कर्ज आय का 33-34% है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. विभाग पर बोझ है, इतना कर्ज है कि उसे चुकाने में समय लगेगा. इसलिए उपभोग प्रोत्साहन मददगार है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है कि प्रोत्साहन कह दिया और पार्टी शुरू हो गई.

